नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। केन्द्रीय रिजर्व बैंक (RBI)के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) का मोदी सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण पर बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि निजीकरण करने के मामले में सरकार का रिकार्ड उतार-चढ़ाव से भरा है। औद्योगिक घरानों को बैंक बेचना भारी गलती होगी। बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इस बात का ऐलान किया था कि सरकार ने इस साल 2 सरकारी बैंकों और एक बीमा कम्पनी के निजीकरण का फैसला किया है। साल 2019 में सरकार ने एल.आई.सी. में आई.डी.बी.आई. बैंक का बड़ा हिस्सा बेचा था। अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं। 2 बैंकों का निजीकरण वित्त वर्ष 2021-22 में किया जाएगा। इस प्राइवेटाइजेशन के बाद इनकी संख्या घटकर 10 रह जाएगी।
मुद्रास्फीति को काबू में रखने और वृद्धि को प्रोत्साहन देने में मदद भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे महामारी के झटके से बाहर निकल रही है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेताया है कि देश के मौद्रिक नीति के ढांचे में किसी तरह के बड़े बदलावों से बांड बाजार प्रभावित हो सकता है। राजन ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और वृद्धि को प्रोत्साहन देने में मदद की है। रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है।
केन्द्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर नीतिगत दरें तय करती है। मौजूदा मध्यम अवधि का मुद्रास्फीति लक्ष्य अगस्त, 2016 में अधिसूचित किया गया था। यह इस साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। अगले 5 साल के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को इसी महीने अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है।
निजीकरण को लेकर सरकार का रिकार्ड काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा एक इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मौद्रिक नीति प्रणाली ने मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद की है। इसमें रिजर्व बैंक के लिए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की गुंजाइश भी है। यह सोचना भी मुश्किल है कि यदि यह ढांचा नहीं होता, तो हम कैसे इतना ऊंचा राजकोषीय घाटा झेल पाते। उनसे पूछा गया था कि क्या वह मौद्रिक नीति के तहत मुद्रास्फीति के 2 से 6 प्रतिशत के लक्ष्य की समीक्षा के पक्ष में हैं।
सुधार उपायों के बारे में राजन ने कहा कि 2021-22 के बजट में निजीकरण पर काफी जोर दिया गया है। निजीकरण को लेकर सरकार का रिकार्ड काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इस बार यह कैसे अलग होगा। राजन ने कहा कि इस बार के बजट में काफी हद तक खर्च तथा प्राप्तियों को लेकर पारदॢशता दिखती है। पहले के बजट में ऐसा नहीं दिखता था।
बैंकों का ऋण कारोबार 6.63 प्रतिशत बढ़ा, जमा में 12.06 प्रतिशत की वृद्धि बैंकों का ऋण 26 फरवरी को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 6.63 प्रतिशत बढ़कर 107.75 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इस दौरान बैंकों के पास जमा राशि 12.06 प्रतिशत बढ़कर 149.34 लाख करोड़ रुपए रही। रिजर्व बैंक के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। पिछले साल 28 फरवरी, 2020 को समाप्त पखवाड़े के दौरान बैंकों का ग्राहकों को दिया गया ऋण 101.05 लाख करोड़ और उनके पास जमा 133.26 लाख करोड़ रुपए रही थी।
आंकड़ों के अनुसार 12 फरवरी, 2021 को समाप्त पखवाड़े में बैंकों का ऋण 6.58 प्रतिशत बढ़कर 107.04 लाख करोड़ और जमा 11.75 प्रतिशत की बढ़ौतरी के साथ 147.81 लाख करोड़ रुपए पर थी। केयर रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि समीक्षाधीन पखवाड़े में बैंकों के ऋण की वृद्धि दर स्थिर रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि खुदरा ऋण बढऩे से बैंकों के कुल ऋण कारोबार में बढ़ौतरी हुई है। एम.के. ग्लोबल फाइनैंशियल सॢवसेज की 5 मार्च को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के खुदरा ऋण में अभी और वृद्धि होगी। अभी यह वृद्धि 9 प्रतिशत है।
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