Friday, Jun 02, 2023
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राहुल गांधी ने कहा या नहीं, भाजपा से मिले हुए हैं पार्टी नेता!

  • Updated on 8/24/2020

नई दिल्ली/शेषमणि शुक्ल। कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को हुई बैठक लंबे वक्त तक चर्चाओं में रहेगी। कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कथित तौर पर भाजपा से साठगांठ होने का आरोप लगाया। पार्टी ने राहुल के ऐसे किसी बयान से इंकार तो कर दिया लेकिन इसके बाद पार्टी नेताओं के बीच एक ऐसी लकीर खिंची हुई दिख रही है, जो शायद ही अब मिटे। दल भले ही एक रहे, उनके दिल मिलेंगे या नहीं, कहना मुश्किल होगा।

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चिट्ठी में जिन नेताओं का नाम है, उसमें सबसे प्रमुख राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा का है, जो सीडब्ल्यूसी की बैठक में मौजूद थे, इसलिए उन्हें लगा कि राहुल गांधी सीधा उनके ऊपर निशाना साध रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक राहुल के वक्तव्य पर गुलाम नबी आजाद ने आपत्ति जताई। सूत्र बता रहे हैं कि आहत आजाद ने कहा कि भाजपा से उनकी मिलीभगत साबित हो जाए तो वे पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे।

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आनंद शर्मा ने भी राहुल के वक्तव्य पर आपत्ति की। सीडब्ल्यूसी की बैठक की बात मीडिया में आई तो बाहर भी राहुल के वक्तव्य का विरोध शुरू हो गया। मीडिया रिपोर्ट को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एक ट्वीट कर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का केस कामयाबी से लड़ा। मणिपुर में पार्टी को बचा रहे  हैं। बीते 30 साल में उन्होंने कभी भी किसी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया फिर भी हम भाजपा के साथ मिले हुए हैं।

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मामले ने तूल पकड़ा तो पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक सिब्बल के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि कृपया फर्जी विमर्श अथवा गलत सूचना फैलाए जाने से गुमराह मत होइए। हमें एक-दूसरे से लड़ने एवं कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की बजाए अधिनायकवादी मोदी सरकार से लड़ने के लिए मिल कर काम करने की जरूरत है। लेकिन सुरजेवाला का ट्वीट आता, इसके पहले ही कांग्रेस दो खेमों में बंटती दिखने लगी। कुछ गांधी परिवार के प्रति वफादारी जताने वाले बयान सोशल मीडिया पर तेजी से दिखने लगे तो कुछ चिट्ठी लिखने वाले नेताओं के पक्ष में।

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विवाद बढ़ने लगा तो कुछ देर बाद ही सिब्बल ने अपना यह कहते हुए अपना ट्वीट वापस ले लिया कि उनकी राहुल गांधी से बात हुई, उन्होंने ऐसी कोई बात कहने से इंकार किया है। बाद में आजाद ने भी उनके इस्तीफे की पेशकश संबंधी मीडिया रिपोर्ट और राहुल गांधी द्वारा भाजपा से साठगांठ संबंधी कोई वक्तव्य देने वाली रिपोर्ट को गलत करार दिया। अब सवाल यही उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी ने ऐसा कुछ कहा था? यदि नहीं तो राहुल के हवाले से ऐसी बातें मीडिया में क्यों कही गईं? आजाद, सिब्बल इस वक्त एक तरह से सरेंडर करते हुए सफाई देना कहीं भविष्य के किसी तूफान का इशारा तो नहीं है?

 

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ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व और ऊपर से लेकर नीचे तक संगठनात्मक बदलाव की मांग करने के साथ ही पूर्णकालिक अध्यक्ष, जो फील्ड में एक्टिव रहे, उसका असर दिखे। सीडब्ल्यूसी का चुनाव कराने जैसी मांगें करने वाली चिट्ठी लिखने वालों में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर, भूपेंद्र हुड्डा, पी.जे, कुरियन, मिलिंद देवड़ा, मनीष तिवारी जैसे नाम प्रमुख हैं। 23 तो बड़े चेहरे हैं, वैसे बताया जा रहा है कि पत्र में 303 नेताओं के हस्ताक्षर हैं। इसमें पांच पूर्व मुख्यमंत्री, कई पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद, प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हैं। यह एक बड़ी संख्या है और ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी को दे दिया है। इनमें से कई 30-40 साल पार्टी को दे चुके अनुभवी और अपने-अपने राज्यों में आधार वाले नेता हैं।

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