नई दिल्ली/ डिजिटल। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से 1.1 लाख करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना समेत कई कदमों की घोषणा किए जाने को ‘एक और ढकोसला’ करार देते हुए मंगलवार को कहा कि इस ‘आॢथक पैकेज’ से कोई परिवार अपने रहने, खाने, दवा और बच्चे की स्कूल की फीस का खर्च वहन नहीं कर सकता। उन्होंने ट्विट किया, वित्त मंत्री के ‘आॢथक पैकेज’ से कोई परिवार अपने रहने-खाने-दवा-बच्चे की स्कूल फ़ीस का खर्च वहन नहीं कर सकता। पैकेज नहीं, एक और ढकोसला! पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, कुछ बुनियादी सच्चाई कोई बैंकर कर्ज के बोझ तले दबे कारोबार को ऋण नहीं देगा।
खासकर गरीबों और मध्यम वर्ग की मदद कर्ज के बोझ से दबे या नगदी की किल्लत का सामना कर रहे कारोबार अब और अधिक कर्ज नहीं चाहते। उन्हें कर्ज से इतर पूंजी की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, उस स्थिति में मांग (उपभोग) से अर्थव्यवस्था में गति नहीं आएगी जहां नौकरियां खत्म हो गई हों और आय कम हो गई हो। इस संकट का एक समाधान यह है कि लोगों के हाथ में पैसे दिए जाएं, खासकर गरीबों और मध्यम वर्ग की मदद की जाए।
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के इरादे से स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिये 1.1 लाख करोड़ रुपये की रिण गारंटी योजना समेत विभिन्न उपायों की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिये आपातकाल ऋण गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत सीमा 50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ रुपये किये जाने का ऐलान भी किया।
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 200 से अधिक दिनों से आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन जताया और आरोप लगाया कि बड़ा सकंट खड़ा होने के बावजूद सरकारी नीतियां विफल नजर आती हैं। गांधी ने इंस्टाग्राम पर कहा, पिछले करीब 200 से अधिक दिनों से किसान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी आजीविका को बचाने की मांग उठा रहे हैं। खेती में आने वाली लागत इससे होने वाली कमायी से कहीं अधिक बढ़ गयी है। हालांकि, बड़ा संकट खड़ा होने के बावजूद सरकारी नीतियां विफल नजर आती हैं।
26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं किसान गांधी ने केरल में उनके संसदीय क्षेत्र वायनाड में कॉफी की खेती करने वाले किसानों का करीब दो मिनट लंबा वीडियो भी साझा किया, जिसमें उनके दिक्कतों में घिरे होने का दावा किया गया। गौरतलब है कि केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं।
इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही। किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून मंडी और एमएसपी खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े व्यावसायिक घरानों की दया पर छोड़ देंगे। सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए खारिज कर दिया है।
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