नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के हाथरस (Hathras) में दलित युवती के साथ हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद पीड़िता के परिवार की सुरक्षा में सीआरपीएफ की तैनाती की गई। ऐसे में अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पीयूसीएल की रिपोर्ट जिसमें कहा गया है कि 'पीड़ित परिवार को फौरी राहत जरूर है, लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं' का हवाला देते हुए राज्य की योगी सरकार पर हमला बोला है।
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यूपी में सरकार के हाथों पीड़ितों का लगातार शोषण असहनीय है। हाथरस रेप-हत्या के मामले में पूरा देश सरकार से जवाब माँग रहा है और पीड़ित परिवार के साथ है। गुंडाराज में वर्दी की गुंडागर्दी का एक और उदाहरण। pic.twitter.com/QtFRUgU5RE — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 22, 2020
यूपी में सरकार के हाथों पीड़ितों का लगातार शोषण असहनीय है। हाथरस रेप-हत्या के मामले में पूरा देश सरकार से जवाब माँग रहा है और पीड़ित परिवार के साथ है। गुंडाराज में वर्दी की गुंडागर्दी का एक और उदाहरण। pic.twitter.com/QtFRUgU5RE
हाथरस घटना को लेकर राहुल ने कही ये बात वायनाड सांसद ने ट्वीट कर लिखा, 'यूपी में सरकार के हाथों पीड़ितों का लगातार शोषण असहनीय है। हाथरस रेप-हत्या के मामले में पूरा देश सरकार से जवाब मांग रहा है और पीड़ित परिवार के साथ है। उन्होंने कहा, गुंडाराज में वर्दी की गुंडागर्दी का एक और उदाहरण।'
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क्या थी खबर जिसका राहुल ने दिया हवाला दरअसल, उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने शनिवार को अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती से पीड़ित परिवार को फौरी राहत जरूर है, लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं।
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फौरी राहत जरूर है लेकिन वे सुरक्षित नहीं- पीयूसीएल पीयूसीएल ने कहा कि 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती से पीड़ित परिवार को फौरी राहत जरूर है लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं। परिवार आतंकित है कि बल के नहीं रहने पर क्या होगा, इसलिए परिवार की सुरक्षा के अलावा निर्भया फंड से उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।‘‘ शनिवार को प्रेस क्लब के सभागार में पीयूसीएल टीम के कमल सिंह एडवोकेट, आलोक, शशिकांत, केबी मौर्य और फरमान नकवी ने पत्रकारों को जांच के निष्कर्ष बिंदुओं से अवगत कराया।
बना हुआ है सुरक्षा का खतरा पीयूसीएल के सदस्यों ने कहा, 'केंद्रीय जांच ब्यूरो इलाहाबाद उच्च न्यायालय की देख-रेख में हाथरस की घटना की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच कर रहा है, लेकिन सीबीआई जांच के बावजूद पीड़ित पक्ष आश्वस्त नहीं है। सुरक्षा का खतरा बना हुआ है क्योंकि सीआरपीएफ के जाने के बाद परिवार के सदस्यों की जान सुरक्षित नहीं रहेगी।'
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मृतका का चरित्र हनन को लेकर कही ये बात सदस्यों ने कहा कि स्थानीय पुलिस और गांव के दबंगों का गठजोड़ बरकरार है इसलिए परिवार आतंकित है कि बल के हटने पर उनके जीवन का क्या होगा। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मृतका का चरित्र हनन दंडनीय अपराध है और ऐसा करने वालों और पीड़ित परिवार के खिलाफ दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई जरूरी है।
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पीयूसीएल के सदस्यों ने उठाए सवाल पीयूसीएल के सदस्यों ने कहा कि इस मामले में कुछ अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है, लेकिन जिन पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले बनते हैं उसका संज्ञान नहीं लिया गया। सदस्यों के मुताबिक सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में कार्रवाई हुई, लेकिन जिस तरह जबरिया शव जलवाया गया और परिवार के सदस्?यों को आखिरी बार देखने भी नहीं दिया गया, उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
सदस्यों ने निलंबित किये गये पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के साथ ही जिलाधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। सदस्यों ने कहा कि जबरन शव जलाये जाने के मामले की भी सीबीआई जांच करे, इसके साथ ही हाथरस कांड के नाम पर दंगा भड़काने और साजिशों से संबंधित मुकदमे जिसमें एसटीएफ के अन्तर्गत जांच चल रही है, उन्हें भी न्यायालय के पर्यवेक्षण में जारी सीबीआई जांच के दायरे में लिया जाना चाहिए।
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