नई दिल्ली/सौरभ बघेल। सोमवार का दिन राजस्थान सरकार के लिए अच्छा रहा और साथ ही कांग्रेस पार्टी के लिए भी। एक महीने तक लंबे सियासी ड्रामे के बीच सचिन पायलट का नरम पड़ना और राहुल-प्रियंका से मुलाकात इस बात का सबूत थी कि वो वापसी के लिए तैयार हैं।
हालांकि सचिन पायलट ने राहुल गांधी से मुलाकात के समय सुलह करने के लिए अपनी तरफ से कुछ शर्तें रखीं। जिनके बदले राहुल गांधी ने पायलट को उनके पूर्व दोनों पदों पर वापस आने का ऑफर भी दिया। भले ही अभी ये नहीं दिख पा रहा है कि सही तस्वीर क्या बनी है लेकिन इतना तय हो गया है कि अब राजस्थान सरकार को सचिन पायलट से कोई खतरा नहीं है और अब सरकार सुरक्षित है।
सचिन पायलट ने की राहुल गांधी से मुलाकात, इस दिन कर सकते हैं दोबारा कांग्रेस में वापसी!
क्यों नरम पड़ गए सचिन पायलट राजस्थान विधानसभा सत्र 14 अगस्त से शुरू हो रहा है और इससे पहले गहलोत सरकार अब पायलट से अभयदान पा चुकी है। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि नाराज बैठे सचिन पायलट अचानक नरम पड़ गए और अपनी तरफ से राहुल से मिलने की पहल कर बैठे?
पायलट को दिखा 50-50 मौका! जानकारों की माने तो सचिन पायलट ने काफी सोच-विचार कर ये निर्णय लिया है। दरअसल, वो जानते हैं कि उनकी तरफ के 19 विधायक, जिनमें अगर 3 निर्दलीय विधायक भी शामिल हो जाएं तो वो गहलोत सरकार गिरा सकते हैं तो, ये गिरने से बच भी सकती है। यानी 50-50 के चांस थे यानी पायलट को नुकसान ज्यादा होता।
सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी के दिए संकेत, जल्द हो सकती है राहुल गांधी से मुलाकात
आशंकाओं से घिरे पायलट दूसरी संभावना ये भी हो सकती है कि पायलट जानते थे कि अभी इन 19 विधायकों में से कोई भी कभी भी उन्हें छोड़ कर जा सकता है, फिर बसपा के विधयाकों को लेकर अटका पड़ा फैसला भी इसमें अड़चन बन कर बैठा था। इसके अलावा सचिन को ये भी आशंका सता रही थी कि वसुंधरा राजे के समर्थक विधायक अगर क्रोस वोटिंग कर गए तो वैसे ही सरकार बच जाती।
राजस्थान कांग्रेस ने फिर की पायलट धड़े से सुलह की कोशिश, रखी यह शर्त
गांधी परिवार का मोह! वहीँ, ये भी साफ़ है कि पायलट कभी बीजेपी जॉइन नहीं करेंगे। न ही अतीत से सीख लेते हुए क्षेत्रीय पार्टी बनाएंगे और इस पूरे ड्रामे में गांधी परिवार पायलट को वापस लाने के प्रयास करता रहा और किसी भी तरह की टिप्पणी से बचता ही रहा।
ये सभी जानते हैं कि गांधी परिवार का सचिन पायलट से काफी करीबी रिश्ता है जो सदियों से चला आ रहा है। राहुल का भी सचिन से एक अलग लगाव है। ऐसे में जब मुलाकात हुई तब कई भाव उमड़ पड़े और तब सचिन ने अपनी शर्तें रखी और खुद को भविष्य में सीएम घोषित करने के लिए राहुल को मना लिया।
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