नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सोमवार के ‘भारत बंद’ को मिले देशव्यापी समर्थन ने साबित कर दिया है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अखिल भारतीय स्तर के हैं और बंद के कारण असुविधा का सामना करने वाले लोगों से इसे किसानों की खातिर भूलने का आग्रह किया। टिकैत ने कहा कि न केवल तीन राज्यों (हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश) बल्कि देश भर के लोगों ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा आहूत बंद में हिस्सा लिया। सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक कहीं से भी ङ्क्षहसा की कोई सूचना नहीं मिली।
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एसकेएम, कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे 40 से अधिक किसान संघों का प्रतिनिधित्व कर रहा है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कुछ लोगों ने विरोध को केवल तीन राज्यों (पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश) में किसानों का मुद्दा बताया था। लेकिन देश भर में आज के बंद को मिली प्रतिक्रिया और समर्थन ने यह साबित कर दिया है कि यह विरोध अखिल भारतीय स्तर का है।’’
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केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में 10 घंटे के बंद के कारण विभिन्न हिस्सों में कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। प्रदर्शन के कारण कई इलाकों में हजारों लोग घंटों तक फंसे रहे। टिकैत ने एक बयान में कहा, ‘‘आज भारत बंद के कारण कुछ लोगों को एक दिन असुविधा का सामना करना पड़ा है, जो स्वाभाविक है, लेकिन किसानों के नाम पर इसे भूल जाना चाहिए।’’
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टिकैत ने बयान में कहा, ‘‘किसान पिछले 10 महीने से घर छोड़कर सड़कों पर हैं, लेकिन ‘अंधी-बहरी’ सरकार न कुछ देखती है न सुनती है।’’ टिकैत ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है और सरकार को चेतावनी दी कि कानून खत्म होने के बाद ही किसान अपने घरों को वापस जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार से हमारी अपील है कि किसानों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाए।’’
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भाकियू नेता ने कहा कि अगर सरकार किसानों की मांगों को मानती है तो 10 महीने से जारी विरोध प्रदर्शन आज समाप्त हो सकता है और केंद्र से इस मुद्दे पर जल्द से जल्द गौर करने का आग्रह किया। उन्होंने देश भर के किसानों और श्रमिकों को बंद को पूर्ण ‘‘सफल’’ बनाने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि तीन कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता और केंद्र द्वारा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी प्रदान नहीं की जाती। उन्होंने पिछले सप्ताह घोषित गन्ने के एमएसपी पर 25 रुपये प्रति किं्वटल की बढ़ोतरी को लेकर उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर भाकियू द्वारा एक अलग आंदोलन किया जाएगा।
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