नई दिल्ली/टीम डिजिटल। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर शनिवार को आंदोलनकारी किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर अनेक स्थानों पर दिनभर का अनशन किया। पश्चिम उत्तर प्रदेश के कृषक समुदाय से बढ़ते समर्थन के बाद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज होता दिख रहा है। दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर गाजीपुर में किसानों की संख्या बढ़ गयी है और यह आंदोलन का नया केंद्र बिंदु बन गया है। किसान संघों के नेताओं ने दावा किया कि पंजाब और हरियाणा से भी प्रदर्शनकारी सिंघू और टीकरी सीमाओं की ओर बढ़ रहे हैं। इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के बाद यहां भीड़ छंट गयी थी।
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राष्ट्रीय राजधानी में सिंघू, गाजीपुर और टीकरी सीमा क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गयी हैं और प्रशासन सतर्कता बरत रहा है। हरियाणा में भी 14 जिलों में इंटरनेट सेवा बंद है। बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है जिनमें दंगा नियंत्रण पुलिस और अद्र्धसैनिक बलों के जवान शामिल हैं। प्रदर्शनस्थलों पर अवरोधकों को अनेक स्तर पर लगाया गया है। गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद शनिवार को ‘सछ्वावना दिवस’ मनाने का आह्वान करने वाले किसान नेताओं ने मंचों पर बैठकर धरना दिया। वे फूलमाला पहने हुए थे। इस दौरान बड़ी संख्या में समर्थक भी जुटे। खासतौर पर गाजीपुर में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो रहे हैं जहां भारतीय किसान यूनियन प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।
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गाजीपुर में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वे दो महीने से अधिक समय से यह लड़ाई लड़ रहे हैं और वे अब पीछे नहीं हटेंगे। टिकैत की भावनात्मक अपील के बाद प्रदर्शन स्थल पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग जुटना शुरू हो गये। भाकियू के मेरठ क्षेत्र के अध्यक्ष पवन खटाना ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आंदोलन मजबूत था और अब भी है।’’ टिकैत के साथ प्रदर्शन स्थल पर मौजूद खटाना ने कहा, ‘‘कृषि कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग को लेकर हो रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन को लगातार समर्थन मिल रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह राजनीतिक प्रदर्शन नहीं है। जो भी भाकियू एवं राकेश टिकैत की विचारधारा का समर्थन करता है, उसका यहां स्वागत है लेकिन हमारी अपील है कि जो अंत तक हमारे आंदोलन को समर्थन देने के इच्छुक नहीं हैं, वे इसे बीच में छोड़कर जाने के लिए नहीं आएं।’’ प्रदर्शन स्थल पर प्रदर्शनकारियों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता ने कहा, ‘‘किसान आ रहे हैं और एकजुटता प्रकट कर वापस जा रहे हैं। यह स्थिर भीड़ नहीं है।’’ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, रालोद और वाम दलों समेत अनेक विपक्षी दलों ने आंदोलन का खुला समर्थन जताया है।
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संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य एवं किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन और मजबूत होगा क्योंकि आने वाले दिनों में और किसान इसमें शामिल होंगे। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने शनिवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर दो फरवरी तक रिकॉर्ड संख्या में लोगों के एकत्र होने की उन्हें उम्मीद है। केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ इन स्थानों पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और वहां विभिन्न राज्यों से काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष राजेवाल ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम दिल्ली की सीमाओं पर 26 जनवरी से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे है।’’
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उन्होंने दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उसकी निंदा की। राजेवाल ने कहा, ‘‘प्रदर्शन स्थलों पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। संभव है कि दो फरवरी तक प्रदर्शन स्थलों पर फिर से रिकॉर्ड संख्या में लोग एकत्र हो जाएं।’’ इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के कदम को लेकर राजेवाल ने हरियाणा सरकार की निंदा की। राजेवाल ने 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में केंद्र पर आरोप लगाया कि वह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं’’ की तस्वीरें दिखाकर लोगों में भय पैदा कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ (किसानों के) जारी आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार गलत प्रचार करके लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।’’
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राजेवाल ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन में शामिल हो रहे लोगों से प्रदर्शन में शांति बनाए रखने की अपील की तथा कहा कि वे गुस्से में नहीं आएं, अन्यथा इससे शांतिपूर्ण प्रदर्शन प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार प्रदर्शन स्थल पर किसानों को उकसा कर हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम सतर्क हैं। हम किसी तरह की हिंसा में संलिप्त नहीं होंगे।’’
प्रदर्शनकारी किसानों तथा सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अगली बैठक के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘वे हमें बुलाएंगे, तो हम जरूर जाएंगे।’’ दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के सिलसिले में करीब 20 किसान नेताओं को नोटिस भेजे हैं। फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान भड़की हिंसा के सिलसिले में साक्ष्य एकत्र करने के लिए शनिवार को लालकिला पहुंची। दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 24 (दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे) पर आवागमन बंद कर दिया गया है।
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