नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना की दवा बनाने का दवा कर बाबा रामदेव बुरे फंस गये हैं। एक तरफ जहां भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने उनकी दवा के विज्ञापन करने पर रोक लगा दी है तो वहीँ उनके इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से जुड़े निम्स के कर्ताधर्ता डॉ बलबीर तोमर भी अपनी बात से पलट गये हैं।
वहीँ, राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही उनकी दवा की बिक्री को लेकर राज्यों में रोक लगा दी है। ऐसे में बाबा रामदेव एक बार फिर अपने बड़े इरादे और प्रोजेक्ट में असफल होते दिख रहे हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं हैं जब बाबा को नाकामी देखने को मिल रही हैं।
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मोदी राज में भुनाए कई अवसर बाबा ने पतंजलि से स्वदेशी प्रोडक्ट और प्रोजेक्ट के जरिए कई अवसरों को मोदी सरकार में भुनाने की कोशिश की है। इसकी शुरूआत 2014 से हुई जब “स्वदेशी” को बढ़ावा देने के लिए बाबा रामदेव की होमग्रोन एफएमसीजी कंपनी ने कमाई के अवसर भुनाए।
उसी वक्त पतंजलि ने स्वदेशी अपनाओ नारा चलाया और बंद पड़े कारखानों को सस्ते में खरीद कर उनसे कई दवाएं, अनाज, रोजमर्रा की चीजें बनाई। हालांकि उनके प्रोडक्ट को लेकर उनके खिलाफ केस भी दर्ज हुए और गलत और घटिया क्वालिटी का सामान बेचने के आरोप भी लगे।
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सरकार से होती है नए प्रोजेक्ट पर बात बाबा रामदेव की कई परियोजनाओं को लेकर केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ बातचीत होती रहती है। वो बात अलग है कि सरकार उसे देर से मानती है या नहीं भी मानती। जैसे 2015 में पतंजलि ने राज्य सरकार द्वारा संचालित खादी और ग्रामोद्योग आयोग को दोबारा बाजार में उतारने के लिए उसकी रिसर्च, मार्केटिंग, क्वालिटी कंट्रोल और मैनेजमेंट आदि की पूरी ज़िम्मेदारी उठाने की इच्छा जताई थी।
लेकिन एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्रा ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि खादी की अपनी अलग पहचान है, उसके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए।
मिड-डे मील पर भी आजमाया इतना ही नहीं साल 2017 में जब योगी यूपी के सीएम बने तब बाबा रामदेव ने पतंजलि को मिड-डे-मील का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसके लिए उन्होंने बताया था कि पतंजलि 10 करोड़ से अधिक बच्चों को पंजिरी, फल और दूध देगी। लेकिन इस प्रस्ताव को योगी सरकार ने तुरंत खारिज कर दिया था।
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नमामि गंगे में भी धोए हाथ इतना ही नहीं भारत सरकार के नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत हरिद्वार के घाटों को गोद लेने का प्रस्ताव भी बाबा रामदेव ने सरकार को दिया था। लेकिन उनके साथ कई दूसरे संगठनों को भी इसमें जोड़ा गया।
ऐसे ही दक्षिण भारत में वैदिक सामग्री की पेशकश करने वाले तीन वैदिक ब्रॉडकास्टिंग चैनलों को लॉन्च करने की अनुमति नहीं दी गई। वहीं रामदेव के वैदिक शिक्षा बोर्ड को अनुमति मिलने में पांच साल लगे।
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नोएडा में भी प्रोजेक्ट बाबा रामदेव का नोएडा में 2,000 करोड़ रुपये का फूड पार्क का एक प्रोजेक्ट रुका पड़ा है। इसमें महत्वपूर्ण विवरणों के न मिल पाने के कारण इसका क्लियरेंस अटका हुआ है। हालांकि सीएम योगी ने सहयोग का आश्वासन दिया था और दस्तावेज जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाई गई। इसके बाद प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली और सब्सिडी से सम्मानित भी हुआ।
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