Thursday, Mar 30, 2023
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ramlala will sit in child form in ayodhya shriram temple

अयोध्या श्रीराम मंदिर में बाल स्वरूप में विराजमान होंगे रामलला, जाने कैसी होगी मूर्ति

  • Updated on 1/14/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर का निर्माण तेजी से पूरा किया जा रहा है। गर्भगृह के समीप की दीवारों (मनडोवर )को तैयार कर लिया गया है। अगले नौ माह (अक्तूबर तक) मंदिर का ग्राउंड फ्लोर का निर्माण पूरा हो जाएगा। करीब 50-60 फीसदी निर्माण पूरा हो चुका है। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि गर्भगृह में भगवान राम बाल स्वरूप में विराजमान होंगे। इसे लेकर विशेष अध्ययन भी शुरु किया गया है।

शुभ मुहूर्त के आधार पर 2024 में 1 से 14 जनवरी के बीच अथवा मकर संक्रांति पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर कुल 170 पिलर हैं, जिनमें गणेश, हनुमान सहित अन्य देवी-देवताओं की अलग-अलग मुद्रा भी मूर्ति के तौर पर पिलर में बनेगी। साथ ही गर्भगृह के अलावा पांच अन्य मंडप भी होंगे, जिसमें तीन मंडप प्रवेश द्वार से गर्भगृह की तरफ और उत्तर में कीर्तन मंडप तथा एक मंडप दक्षिण में होगा।

हाल ही में हुई बैठक में यह भी तय हुआ है कि करीब 35 फीट की दूरी से श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन हो सकें। ताकि श्रीराम के पूर्ण दर्शन(नख से शिखर तक)हो सकें। वास्तुकारों व निर्माण में जुटे इंजीनियरों की मदद से यह कोशिश की गई है कि रामनवमी पर गर्भगृह में स्थापित रामलला के मस्तिष्क पर सूर्य की सीधी किरण पड़ें। दिसंबर 2023 के अंत तक राम मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद जनवरी से इसे श्रद्धालुओं के लिए खोला जा सकता है।

श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने अयोध्या में पत्रकारों के बीच यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण की भाषा में गर्भगृह के चारों तरफ बनने वाली दीवारों को

मनडोवर कहा जाता है। राम मंदिर के गर्भगृह के आस-पास की दीवारों को चारों तरफ से तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि ये दीवार भी पत्थरों की ऊंचाई के साथ ही एक साथ ऊपर चल रही हैं। गर्भगृह के चारों ओर की दीवार के बाहर परिक्रमा मार्ग भी तैयार किया जा रहा है। इनकी दीवारों का काम भी हो रहा है।

ट्रस्ट पदाधिकारी के अनुसार हाल ही में मंदिर निर्माण और रामललाल की मूर्ति आदि के विषय पर हुई बैठक में विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की नई मूर्ति होगी, जिसे 35 फीट की दूरी से भक्त दर्शन कर सकें, इसके लिए नौ फीट की ऊंचाई पर इसे स्थापित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राम मंदिर के प्रथम तल का निर्माण इस साल अक्तूबर तक पूरा हो जाएगा। जबकि जनवरी 2024 में श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि निश्चित तिथि अभी से बता पाना मुमकिन नहीं है, लेकिन मकर संक्रांति पर भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा का काम 1 से 14 जनवरी के बीच कराया जा सकता है।

कैसी हो सकती है रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति

चंपत राय के अनुसार नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं (नील कमल के सामान श्यामल, सुंदर, सांवले और कोमल अंग वाले) के तर्ज पर बनाई जाएगी रामलला की मूर्ति। जिसमें आसमानी रंग के पत्थर का उपयोग हो सकता है। ट्रस्ट के पदाधिकारी के अनुसार भगवान राम के बाल स्वरूप की प्रतिमा को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने की योजना है। रामलला की मूर्ति 5 वर्ष से 7 वर्ष के बालक स्वरूप में रहेगी, ऐसा विचार किया गया है।

ट्रस्ट के भवन निर्माण समिति की बैठक में श्रीराम के स्वरूप को लेकर मंथन हुआ। जिसमें तय किया गया कि रामलला की मूर्ति 5 वर्ष से 7 वर्ष के बीच बालक के बालस्वरूप में होगी। मूर्ति में उंगलियां कैसी हो, चेहरा कैसा हो, आंखें कैसी हो इस बात पर बड़े- बड़े मूर्तिकारों की मदद ली जा रही है।

इसे तैयार करने में करीब पांच से छह माह का समय लग सकता है। श्रीराम की मूर्ति की ऊंचाई करीब साढ़े आठ फीट रहेगी। राम मंदिर के बाहर लगभग सात हजार मूर्तियां बनेंगी और मंदिर के चारों तरफ रामजीवन से जुड़े 100 प्रसंग को पत्थरों पर उकेरा जाएगा। कर्नाटक, मुंबई,ओडिशा और पूना के मूर्तिकार इस कार्य में जुट गए हैं।

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