नई दिल्ली/टीम डिजिटल। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयदशमी यानि दशहरा राजधानी में इस बार उतने धूमधाम से नहीं मनाया जा सका जितना हर साल होता है। बावजूद इसके कई रामलीला कमेटियों ने हिम्मत कर लीलाओं का मंचन किया और रावण, मेधनाथ व कुंभकर्ण के साथ ही पूरे विश्व की गति को रोक देने वाले वायरस कोरोना का भी पूतला जलाया गया।
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गीता कॉलोनी में रामलीला मंचन के बाद रावण, कुंभकर्ण व मेधनाथ के साथ ही कोरोना का पूतला जलाया गया। इस दौरान हरेक तरीके से सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद दिखाई दी। शास्त्री पार्क में भी राम-रावण के युद्ध का मंचन कर पूतलों का दहन किया गया। कोरोना का पूतला जलाने से पहले लीला आयोजकों द्वारा सरकारी गाइडलाइंस का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक किया गया और भगवान राम से प्रार्थना की गई कि अगले साल भव्य तरीके से दोबारा लीलाओं का मंचन व दशहरा मनाया जा सके। वहीं दिल्ली में उत्तम नगर, विकासपुरी, विकास नगर, पौचनपुर, शास्त्री नगर, तिलक विहार, मालवीय नगर, बदरपुर, मैदानगढी, बसंत कुंज सहित कई इलाकों में करीब 10 फुट के रावण के पूतलों का दहन किया गया।
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वर्चुअली हुआ रावण दहन श्रीरामलीला कमेटी इंद्रप्रस्थ द्वारा इस वर्ष रावण के पूतले का दहन नहीं करने का निर्णय लिया गया था। इसीलिए लीला आयोजकों द्वारा वर्चुअल एलईडी पर पूतला दहन व आतिशबाजी को दिखाया गया।
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लोगों ने गली व छतों पर जलाए छोटे रावण कोरोना के चलते सभी त्योहार काफी लिमिटेड मनाए जा रहे हैं। बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके परिजनों द्वारा छोटे रावण के पूतले खरीदकर उन्हें गली व छतों पर भी जलाया गया।
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सदियों की टूटी परंपरा रामलीला मैदान हो या फिर लालकिला मैदान पहली बार यहां सदियों की परंपरा टूट गई। कोरोना के चलते इस बार रामलीला व लालकिला मैदान में ना तो लीलाओं का मंचन हुआ और ना ही रावण पूतले का दहन किया गया। मालूम हो कि हरेक साल यहां सबसे ऊंचा व हाईटैक पूतला जलाए जाने की होड लगी रहती थी। जिसका दहन करने खुद प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व पक्ष और विपक्ष के नेता आया करते थे। इन आयोजनों के दौरान करोडों रूपयों का खर्च होता था और हजारों कलाकार देश के विभिन्न कोनों से हिस्सा लेने आया करते थे।
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