Sunday, Mar 26, 2023
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पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने यस बैंक की स्थिति के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार, कहा- RBI करे जांच

  • Updated on 3/7/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम (P. Chidambaram) ने केंद्र पर शनिवार को आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में वित्तीय संस्थानों के ‘कुप्रबंधन’ के कारण यस बैंक (Yes Bank) की स्थिति चरमराई। उन्होंने मांग की है कि आरबीआई (RBI) इस मामले की गहन जांच करे और जवाबदेही तय करे।      

उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त यस बैंक में एसबीआई (SBI) द्वारा 2,450 करोड़ रुपये का निवेश करके 49 फीसदी हिस्सेदारी लेना विचित्र मामला है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए और जवाबदेही तय की जानी चाहिए।’ उन्होंने सवाल किया कि जब अन्य बैंकों की ऋण वितरण वृद्धि नौ प्रतिशत की दर से बढ़ी, तब यस बैंक का कर्ज वितरण 35 प्रतिशत बढऩे पर आरबीआई के किसी अधिकारी ने ध्यान क्यों नहीं दिया।   
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यस बैंक नहीं कर रहा था बैंकिंग
चिदंबरम ने कहा कि यस बैंक बैंकिंग नहीं कर रहा था बल्कि नियम कायदों को ताक पर रखकर कर्ज बांटने में लगा हुआ था। उन्होंने कहा कि यस बैंक के कर्ज वितरण को मार्च 2014 से मार्च 2019 तक कई गुना बढने दिया गया। चिदंबरम ने कहा,‘यस बैंक का ऋण वितरण मार्च 2014 में 55,633 करोड़ रुपए से मार्च 2019 में 2,41,499 करोड़ रुपए तक कैसे बढ़ गया।’ उन्होंने कहा कि मैं मार्च 2019 में वित्त मंत्री नहीं था।     

उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी के तत्काल दो वर्ष बाद 2016-17 और 2017-18 में बढ़ोतरी हुई। क्या आरबीआई में कोई या सरकार जिम्मेदार नहीं है।’ चिदंबरम ने कहा कि जो कोई भी बैंक की जिम्मेदारी सम्भाले, उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जमाकर्ताओं का धन सुरक्षित रहे और हर जमाकर्ता अपने धन को लेकर आश्वस्त हो क्योंकि जर्माकर्ताओं का कोई कसूर नहीं है।     
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मार्च 2014 में नए कर्ज की दी मंजूरी
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘मार्च 2014 के बाद नए कर्ज के लिए किस समिति या व्यक्ति ने मंजूरी दी? आरबीआई और सरकार यह क्यों नहीं जानती थी कि यस बैंक कर्ज देने की होड़ में लगा है? यह बैंकिंग नहीं बल्कि नियम कायदों को ताक पर रखकर कर्ज बांटना है। क्या आरबीआई और सरकार ने हर साल के अंत में बैंक का बही खाता नहीं देखा?’ चिदंबरम ने यह भी पूछा कि यस बैंक के सीईओ को बदले जाने और जनवरी 2019 में नए सीईओ (CEO) को नियुक्त किए जाने के बाद और मई 2019 में यस बैंक के बोर्ड में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गर्वनर की नियुक्ति के बाद कुछ क्यों नहीं बदला ?     उन्होंने कहा, ‘यस बैंक को जनवरी-मार्च 2019 में जब पहला तिमाही नुकसान हुआ तब सचेत क्यों नहीं हुए ?’

मीडिया से हो जाएगी खबर गायब
चिदंबरम ने कहा कि सरकार और वित्त मंत्री चाहेंगे कि मीडिया से यह खबर गायब हो जाए लेकिन इसकी भरसक कोशिश के बावजूद भाजपा सरकार (BJP Government) में वित्तीय संस्थानों का कुप्रबंधन ऐसा मामला है जो सार्वजनिक क्षेत्र में रहेगा और जिस पर वृहद चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था (Economy) के प्रबंधन का आकलन वित्त मंत्री या कोई पूर्व वित्त मंत्री या कोई समाचार पत्र नहीं, बल्कि बाजार सबसे बेहतर तरीके से करता है।’ उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने यस बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदी लगा दी है और निकासी की सीमा 50,000 रुपये कर दी है। 

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