नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महंगाई के मोर्चे पर सहूलियत को देखते हुए बुधवार को अपनी नीतिगत ब्याज दर ‘रेपो’ 0.25 प्रतिशत घटा कर 6.25 प्रतिशत कर दी। इससे धन सस्ता पड़ेगा और आने वाले दिनों में बैंक घर तथा अन्य ऋणों पर मासिक किस्त घटा सकते हैं।
केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के लगातार नीचे बने रहने के मद्देनजर बाजार में कर्ज सस्ता करने वाला यह कदम उठाया है। रेपो दर वह दर होती है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन के निए नकद धन उधार देता है।
RBI Governor: Headline inflation is expected to remain contained below or at its target of 4%. This has opened space for policy action. Investment activity is recovering supported mainly by public spending on infrastructure https://t.co/XybZ9CT6sj — ANI (@ANI) February 7, 2019
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रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के बारे में अपना दृष्टिकोण भी नरम कर ‘तटस्थ‘ प्रकार का कर दिया है। अभी तक उसने मुद्रास्फीति के जोखिम के मद्देनजर इसे ‘नपी- तुली कठोरता’ वाला कर रखा था। नए गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की हुई पहली बैठक में छह में से चार सदस्यों ने रेपो में कमी किए जाने का समर्थन किया। हालांकि, रिजर्व बैंक के रुख को नरम करने के मामले में सभी सदस्य एक राय रहे।
रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के बारे में अपने अनुमान को भी कम किया है। उसका मानना है कि मार्च 2019 की तिमाही में यह 2.8 प्रतिशत रहेगी। वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये भी मुद्रास्फीति अनुमान 3.2- 3.4 प्रतिशत रहने और तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
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दिसंबर, 2018 में खुदरा मुद्रास्फीति 18 माह के न्यूनतम स्तर 2.2 प्रतिशत रह गई। रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिये इसके अनुमान को कम किया है। उसका मानना है कि चालू वित्त वर्ष के मार्च में समाप्त होने वाली तिमाही में यह कम होकर 2.8 प्रतिशत रह जायेगी जबकि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसके 3.2 से 3.4 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मौद्रिक नीति समिति ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि ‘निकट अवधि में मुद्रास्फीति की मुख्य दर नरम बने रहने का अनुमान किया गया है। ‘मुद्रास्फीति का वर्तमान स्तर नीचे है और खाद्य मुद्रास्फीति भी शांत है।’ समिति ने कहा है कि ‘सब्जियों और तेल की कीमतों, वैश्विक व्यापार में तनावों, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के महंगा होने, वित्तीय बाजारों में उतार चढ़ाव और मानूसन की स्थिति के प्रति हमें सजग रहना होगा।’
समिति के प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘नीतिगत ब्याज में यह कटौती आर्थिक वृद्धि में सहायक होने के साथ साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर सीमित रखने के मध्यावधिक लक्ष्य के अनुकूल है।’ मौद्रिक समिति में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य और सदस्य चेतन घाटे ने रेपो को 6.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखने का पक्ष लिया। लेकिन गवर्नर दास और तीन अन्य सदस्यों ने इसमें कमी के प्रस्ताव के पक्ष में सहमति जताई।
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