Wednesday, Dec 06, 2023
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reconsideration matter of propriety of decision arbitration agreements handed over bench

मध्यस्थता समझौतों पर फैसले के औचित्य पर पुनर्विचार का मामला 7 सदस्यीय पीठ को सौंपा

  • Updated on 9/26/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता समझौते के संबंध में पांच न्यायाधीशों की पीठ के आदेश के औचित्य पर पुनर्विचार करने का मुद्दा सात न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजा है। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि बिना मुहर वाले मध्यस्थता समझौते कानूनन मान्य नहीं होते हैं। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की एक पीठ ने उपचारात्मक याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश जारी किया। याचिका में इस साल 25 अप्रैल को पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा सुनाये गये फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया गया था। 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने कहा, ‘‘ एन एन ग्लोबल (अप्रैल फैसले) में बहुमत के दृष्टिकोण के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हमारा मत है कि पांच न्यायाधीशों की पीठ की दृष्टि के औचित्य पर पुनर्विचार के लिए कार्यवाही सात न्यायाधीशों की पीठ के सामने रखी जाए।'' 

उसने कहा कि यह मामला 11 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया जाए। इस साल अप्रैल में अपने फैसले में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने दो के मुकाबले तीन मत से कहा था, ‘‘ ऐसे दस्तावेज, जिस पर स्टांप ड्यूटी की जरूरत होती है, में भले ही मध्यस्थता उपबंध हो लेकिन स्टांप न हो तो उसे ऐसा अनुबंध नहीं कहा जा सकता है जो अनुबंध कानून की धारा दो (एच) के अर्थ के हिसाब से कानूनन मान्य हो...।'' 

मंगलवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका मत है कि यह मामला सात न्यायाधीशों की पीठ के सामने पेश किया जाए। पीठ ने कहा, ‘‘ अभी देशभर में पंचाटों के सामने एक ऐसी स्थिति खड़ी की जा रही है जहां उनसे कहा जा रहा है कि देखिए बिना स्टांप का समझौता है। मामला फिर से खोलिए। हमें इसका समाधान करने की आवश्यकता है।'' 

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