नई दिल्ली/टीम डिजिटल। अयोध्या (Ayodhya) में बनने वाले राम मंदिर के लिए कोर्ट के फैसले के बाद 5 फरवरी 2020 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा की थी। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन का कार्य संपन्न हो गया। अब इसे भव्य मंदिर का वैभव इस बार दिल्ली में राजपथ के जरिये दुनिया के समाने आने जा रहा है।
खबर है कि इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में राम मंदिर के मॉडल झांकी की तरह नजर आएंगे। इसके लिए अयोध्या की झांकी विशेष तौर तैयार की जा रही है। इस झांकी में 'अयोध्या : उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर' शीर्षक से श्रीराम की धरती पर बन रहे मंदिर सहित वहां की संस्कृति, परंपरा, कला और विभिन्न देशों से अयोध्या व प्रभु राम से संबंधों का चित्रण भी झांकी में किया जाएगा।
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इतना ही नहीं, 2018 से योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किए गए भव्य दीपोत्सव की झलक भी इसमें दिखाई जाएगी। इसके साथ ही मृदंग सम्राट के नाम से प्रसिद्ध रहे पागलदास की जीवनी भी झांकी में दिखेगी।
ऐसे शुरू हुआ था विवाद बता दें, मंदिर निर्माण की इस शुभ घड़ी तक पहुंचने के लिए बेहद कठिनाइयों से भरा सफर तय करना पड़ा है। ये दौरा था 1528 का जब अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर मस्जिद का निर्माण हुआ जिसे हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान मानते थे। सन 1528 को बाबर द्वारा एक ऐसे स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया जिसे हिंदू राम का जन्मस्थान मानते थे। सन 1853 में जब मुगलों और नवाबों की सत्ता कमजोर पड़ने लगी, तो वर्षों से मंदिर निर्माण को लेकर शांत बैठे हिंदू अपने हक की आवाज तेजी से उठने लगे थे।
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आया ये फैसला हालांकि 9 नवंबर 1989 को श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर के शिलान्यास की घोषणा की गई। घोषणा के उपरांत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने शिलान्यास की इजाजत दे दी। 6 दिसंबर 1992 अयोध्या पहुंचे हजारों कारसेवकों ने ढांचा गिरा दिया। इस तरह कई चुनौतियों और लगातार बढ़ते विवादों के बीच एक समय ऐसा आया जब 21 मार्च 2017 को देश में शांति स्थापित करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थता से मामले सुलझाने की पेशकश की।
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40 दिन की सुनवाई यह भी कहा कि दोनों पक्ष राजी हों तभी वह इसके लिए तैयार है। इस दौरान 6 अगस्त 2019 से लगातार 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया जिसमें संबंधित स्थल को श्रीराम जन्मभूमि माना और 2.77 एकड़ भूमि रामलला के स्वामित्व की मानी। निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया गया। साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को आदेश दिया गया कि मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक रूप से मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जाए।
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