नई दिल्ली। टीम डिजिटल। दिल्ली के तीन बड़े व केंद्रीय अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सोमवार को ओपीडी व आपात सेवाओं का बहिष्कार कर दिया। रेजिडेंट डॉक्टर्स नीट-पीजी 2021 की काउंसलिंग में देरी को लेकर फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के बैनर तले देशव्यावी विरोध-प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं। जिसके चलते राम मनोहर लोहिया (आरएमएल), लेडी हार्डिंग अस्पताल व सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ओपीडी व आपात सेवाओं का बहिष्कार किया। वहीं यह बहिष्कार ईलाज करवाने आए मरीजों के लिए आफत बन गई। मरीज व उनके तिमारदार ईलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल धक्के खाते रहे। तंजानिया से दिल्ली आया ओमीक्रॉन का पहला मामला
एफओआरडीए ने लिखा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र एफओआरडीए द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को भी पत्र लिखकर सारी स्थितियों से अवगत करवाया गया है। उनका कहना है कि बीते 4 दिसंबर को कहा था कि देशभर के स्वास्थ्य संस्थानों में पर्याप्त रेजिडेंट चिकित्सकों की कमी है, जबकि वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में अभी तक कोई नामांकन नहीं हुआ है। इसमें कहा गया है कि भविष्य में कोविड-19 महामारी की लहर की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र में देश की आबादी पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। नीट-पीजी काउंसिङ्क्षलग में तेजी लाने के लिए अभी तक कोई पहल या उपाय नहीं किया गया है। इसलिए दिल्ली के विभिन्न आरडीए प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श के बाद हमने सोमवार से स्वास्थ्य संस्थानों में अपने आंदोलन को आगे बढ़ाने और सभी सेवाओं (नियमित और आपातकालीन) को वापस लेने का फैसला किया है। हड़ताल से मरीज परेशान, कई अस्पतालों के काटते दिखे चक्कर
प्रधानमंत्री करें हस्तक्षेप : आईएमए फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) द्वारा आयोजित देशव्यापी विरोध प्रदर्शन को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने नीट-पीजी 2021 की काउसंलिंग में विलंब पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका और कोविड-19 के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ का पता लगने के परिप्रेक्ष्य में स्वास्थ्य क्षेत्र में लोगों की कमी पर ङ्क्षचता जताते हुए आईएमए ने कहा है कि चिकित्सा महाविद्यालयों में नीट पीजी नामांकन स्थगित करना खतरनाक है। आईएमए ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्नातकोत्तर के लगभग दो बैच की कमी हो जाएगी, एक बैच जो परीक्षा के लिए उपस्थित हो रहा है और दूसरा जो प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप लगभग एक लाख युवा रेजिडेंट डॉक्टर संकट से निपटने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएंगे। आईएमए केंद्र सरकार से मांग करता है कि पीजी में नामांकन की प्रक्रिया युद्ध स्तर पर होनी चाहिए।
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