नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बताया कि वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा कर रही है और इस पर वह ‘‘उचित कार्रवाई'' भी करेगी। कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने एक लिखित जवाब में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दो मार्च के अपने फैसले में कहा कि जब तक संसद संविधान के अनुच्छेद 342 (2) के अनुरूप कानून नहीं बना देती, तब तक सीईसी और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर की जाएगी।
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इस समिति में प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता, और यदि कोई विपक्ष का नेता उपलब्ध नहीं है, तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता सदस्य होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा कर रही है और उचित कार्रवाई की जाएगी।'' रीजीजू ने कहा कि निर्वाचन आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(1) के अनुसार स्थापित एक स्थायी संवैधानिक निकाय है। संविधान के अनुच्छेद 324(2) के अनुसार, निर्वाचन आयोग मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (यदि कोई हों) से मिलकर बनेगा। यह संख्या राष्ट्रपति समय-समय पर तय करेंगे। सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, संसद द्वारा इस संबंध में बनाए गए कानून के प्रावधानों के अधीन, राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
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कानून मंत्री ने कहा कि मूल रूप से आयोग की अध्यक्षता एकमात्र मुख्य निर्वाचन आयुक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि आयोग के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और देश में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए, तत्कालीन सरकार ने अक्टूबर 1989 में दो अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति की, जो केवल जनवरी 1990 तक पद पर रहें। उन्होंने कहा कि बाद में एक अक्टूबर 1993 को दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई और तब से वर्तमान बहु-सदस्यीय आयोग की अवधारणा प्रचलन में है।
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रीजीजू ने कहा, ‘‘मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 324(2) के तहत संसद द्वारा कोई विशिष्ट कानून नहीं बनाया गया है।'' उन्होंने कहा कि भारत सरकार (कार्य संचालन) नियम, 1961 के नियम आठ के अनुसार सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘अब तक सिविल सेवा के वरिष्ठ सदस्यों और/या भारत सरकार के सचिव रैंक के अन्य सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारियों/राज्य सरकारों के मुख्य सचिव को निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है, और तीन चुनाव आयुक्तों में से सबसे वरिष्ठ को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है।'' रीजीजू ने कहा, ‘‘सीईसी और निर्वाचन आयुक्तों के पदों पर नियुक्तियां संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हैं, जो आयोग की अखंडता और विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं।''
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