नई दिल्ली/टीम डिजिटल। ऋषि कपूर 67 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गये। आज सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर अपनी आखिरी सांस ली। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट करके ऋषि कपूर के निधन की जानकारी दी। कल उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके बाद उन्हें मुंबई के एचएन।रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था।
बताया जा रहा है कि तो ऋषि कपूर को सांस लेने में दिक्कत के साथ चेस्ट इन्फेक्शन और बुखार भी था, लेकिन आज सुबह उनकी हालत बेहद खराब हो गई और उन्होंने 8:45 पर अंतिम सांस ली। उनकी मौत से पूरा बॉलीवुड सदमे में आ गया है। कल इरफान खान का निधन और आज ऋषि कपूर की मौत से पूरी फिल्म इंडस्ट्री शौक्ड हो गई है।
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परिवार ने दी बीमारी की जानकारी इसके बाद कपूर परिवार की तरफ से स्टेटमेंट जारी कर अधिकारिक रूप से ऋषि कपूर की बीमारी के बारे में बताया गया। ऋषि कपूर को ल्यूकेमिया कैंसर था। जिसके इलाज वो अमेरिका से करा कर आए थे लेकिन इस बीमारी के कारण उनका इम्यून सिस्टम काफी वीक हो गया था जिसकी वजह से उन्हें इन्फेक्शन और बुखार जैसी बीमारियां बार-बार होती रहती थी। बताया जाता है कि फरवरी 2020 में भी उन्हें जल्दी-जल्दी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था।
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क्या है ल्यूकेमिया कैंसर ऋषि कपूर की ल्यूकेमिया कैंसर नामक बीमारी से मौत हो गई। यह एक तरह का ब्लड कैंसर है जिसमें ब्लड की वाइट कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ जाती है और उनके साइज़ में चेंजस होने लगते हैं। इस कैंसर को क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया या सीएलएल (CLL) भी कहते हैं। इस तरह के कैंसर बढ़ती उम्र के लोगों में ज्यातर देखने को मिलते हैं। इस कैंसर की वजह से बॉडी का इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर हो जाता है। इसमें हल्का बुखार या कोई भी इन्फेक्शन जानलेवा साबित हो सकता है।
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क्या हैं ल्यूकेमिया कैंसर लक्षण ल्यूकेमिया कैंसर की सबसे खतरनाक बात यही है कि इसके लक्षण तभी दिखाई देते हैं जब ये बॉडी में तेजी से फैल जाता है। शुरुआत में इसके कोई भी लक्षण नही होते लेकिन जब ये पूरी बॉडी में तेजी से फैल जाता है तब इसके सभी लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। इसके लक्षणों में ये शामिल हैं..... -व्यक्ति का वजह तेजी से कम होना -सारे दिन थकान और कमजोरी महसूस होना -जल्दी-जल्दी बीमारी और इन्फेक्शन होना -शरीर पर जगह जगह नील पड़ना -नाक से खून बहना -सर दर्द होना
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क्या हैं इलाज ल्यूकेमिया कैंसर में कीमोथेरेपी से इलाज किया जाता है लेकिन डॉक्टर्स कहते हैं कि कीमोथेरेपी के बाद भी यह संभावना रहती है कि कैंसर वापस लौट आए, इसलिए व्यक्ति का बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना ही इसके इलाज का बेस्ट आप्शन होता है।
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बाकी कैंसर से है अलग अक्सर लोग सोचते हैं कि बॉडी गांठ बन जाती है और वो पूरे शरीर में फैलने लगती है और वही कैंसर का रूप लेती है लेकिन ऐसा नहीं है। कैंसर कई तरह के होते हैं खासकर जब बात ब्लड कैंसर की हो तो ये बॉडी के खून बनाने वाले सिस्टम से जुड़ा होता है। दरअसल, ब्लड कैंसर ब्लड बनाने वाले ऊतक का कैंसर होता है। इसमें बोन मैरो भी शामिल होता है।
शायद अभी आपने सुना हो कि किसी व्यक्ति का बोन मैरों बदलना पड़ा, वो कैंसर के कारण ही बदला जाता है। ब्लड कैंसर कई तरह के होते हैं जैसे- एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया, एक्यूट लिम्फोब्लासटिक ल्यूकेमिया और क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया।
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