नई दिल्ली/टीम डिजिटल। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी (PMO) का कार्यालय उन बड़े विभागों में से एक हैं जिन्होंने 2013-2014 के दौरान प्राप्त हुई आरटीआई (RTI) याचिकाओं को सबसे ज्यादा संख्या में निरस्त किया है। महाराष्ट्रःराहुल गांधी ने पीएम मोदी पर कसा तंज, कहा- भरपेट भोजन के बाद ही युवाओं को भेजे चांद पर
क्या है पूरा मामला बता दें कि 2013-2014 में प्राप्त हुई आरटीआई याचिकाओं का जवाब न देने में सबसे आगे भारत सरकार (Indian Government) का वाणिज्य मंत्रालय ( Corporate Affairs) रहा, जिसने कुल 28.85% याचिकाओं को निरस्त किया था। इसके अलावा दूसरे स्थान पर पीएमओ ने 20.49% तो वही तीसरे स्थान पर वित्तमंत्रालय ( Ministry of Finance) ने 19.16% याचिकाओं को मना किया था। हरियाणा विस चुनाव 2019: 'कांग्रेस या INLD ने नहीं खट्टर ने चलाई हरियाणा की जमीन पर रहकर सरकार'
इन मंत्रालय ने भी नहीं दिया जवाब इसी तरह ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय सचिवालय, रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रपति सचिवालय और पैट्रोलियम मंत्रालय ने भी लगभग इतनी ही याचिकाओं को निरस्त किया। बता दें कि इसके अलावा 2014-2015 के बाद से पिछले तीन सालों में वित्त मंत्रालय सबसे ज्यादा आरटीआई याचिकाओं को निरस्त किया है।
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कानून की धाराओं का किया गया इस्तेमाल बता दें इसी तरह लोक-प्रशासन (Public Authorities) भी आरटीए कानून में मौजूद धाराओं का हवाला देकर आरटीआई आवेदनों को निरस्त किया जाता है। बता दें कि आरटीआई एक्ट की धारा 8,9 और 11, 24 के हवाले से आरटीआई को निरस्त करने का अधिकार दिया गया है।
सीआईसी के आंकड़े के अनुसार लोक-प्रशासन ने 2013-2014 में 44% आरटीआई याचिकाओं का जवाब नही दिया था। और जब उनसे इसका जवाब मांगा गया तो उनकी तरफ से इसका कोई वाजिब कारण नहीं दिया गया था।
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