Saturday, Dec 09, 2023
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rural employment will be affected by reduction in mgnrega allocation: amit mitra rkdsnt

मनरेगा आवंटन में कटौती से ग्रामीण रोजगार प्रभावित होगा: अमित मित्रा

  • Updated on 2/1/2022

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल सरकार के सलाहकार और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री अमित मित्रा ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बजट के प्रस्तावों से ग्रामीण रोजगार प्रभावित होगा क्योंकि मनरेगा के लिए आवंटित राशि में कटौती की गई है।

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बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि कोविड के कारण नौकरी गंवाने वाले लोगों के जीविकोपार्जन के लिए बजट में कुछ नहीं है। इसके अलावा इसमें किसानों और वेतनभोगी लोगों के लिए भी कुछ नहीं है। मित्रा ने कहा कि बेरोजगारी दर ऊंची रहने के बावजूद मनरेगा के लिए आवंटित राशि को 98 हजार करोड़ से घटाकर 73 हजार करोड़ कर दिया गया है।  

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मित्रा ने कहा कि मनरेगा का मकसद ग्रामीण इलाकों में जीविकोपार्जन को सुनिश्चित करना है, जिसके तहत न्यूनतम 100 दिन की मजदूरी प्रदान की जाती है। मित्रा ने कहा कि ऐसा लगाता है कि बजट केवल कुछ लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि बजट में बुजुर्गों और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी कोई योजना नहीं है।

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स्टेगफ्लेशन पर मित्रा ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक बढ़कर 14 फीसदी और उपभोक्ता सूचकांक बढ़कर छह फीसदी हो गया है। स्टेगफ्लेशन वह स्थिति है जब बेरोजगारी और मुद्रास्फीति साथ-साथ बढ़ती है, जबकि समान्य परिस्थितियों में दोनों एक दूसरे के विपरीत रहते हैं। 

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MSP पर समिति गठन के बारे में बजट मौन: देवेन्द्र शर्मा 
बजट को निराशाजनक बताते हुए प्रमुख कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि बजट किसानों के हितों और उनकी आय दोगुनी करने के बारे में मौन है। शर्मा ने पीटीआई को बताया, ‘‘पिछले लगभग पांच सालों से किसानों की आय दोगुनी करने की बात जोर-शोर से कही जाती रही है कि वर्ष 2022 तक इस मंजिल को हासिल करने की सरकार की योजना है। लेकिन बजट में इस बहुप्रचारित ‘दावे’ पर चुप्पी साध ली गई है। कम से कम सरकार को यह बताना चाहिये था कि इस लक्ष्य को पाने की दिशा में और कितना समय लगेगा या कहां तक आगे बढ़ पाये हैं, आगे और कितना समय लगेगा और इस लक्ष्य को हासिल करने में क्या समस्या आ रही है।’’ उन्होंने कहा कि हमें किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद थी लेकिन इस बारे में बजट ने मौन धारणा किया हुआ है। 

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उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में किसानों का जो लंबा आंदोलन चला उसके बाद सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक समिति के गठन की बात की गई थी। बजट में सरकार को कम से कम उस समिति के बारे में उसके गठन की ही औपचाहिक घोषणा कर देनी चाहिये थी और बताना चाहिये था कि इस समिति की कितने दिन में रिपोर्ट आ जायेगी। लेकिन इस दिशा में भी कोई पहल नहीं की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी के इस बुरे वक्त में कृषि क्षेत्र ने न सिर्फ जीजिविषा को प्रर्दिशत किया बल्कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी साबित हुआ। ऐसे में वक्त में सरकार को आगे बढ़कर किसानों की मदद करनी चाहिये थी। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत उन्हें दी जाने वाले 6,000 रुपये की वित्तीय मदद को बढ़ाकर 12,000 रुपये सालाना करना चाहिये था और कृषि मजदूरों को भी 6,000 रुपये सालाना की वित्तीय मदद करनी चाहिये थी। तब शायद किसानों को लगता कि सरकार हमारी मदद के लिए आगे आई है।’’ 


 

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