नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है। यानी कब, कौन कैसे फर्श से अर्स तक पहुंच जाएगा कम से कम राजनीति, क्रिकेट और बॉलीवुड में कहा नहीं जा सकता है। इसका बेहतरीन उदाहरण फिलहाल भारतीय राजनीति में अमित शाह (Amit Sah) है। यह वहीं अमित शाह है जब जनवरी 2014 में दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक लेने एनडीएमसी पहुंचे, तब शायद ही किसी ने उतना नोटिस किया हो जितना लोग बेसब्री से पीएम केंडिडेट नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की प्रतीक्षा कर रहे थे।
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जब मणिशंकर अय्पयर ने दिया विवादित बयान तो...
इस बैठक से पहले एक वाकया का जिक्र करना जरुरी है कि जब जनवरी 2014 में तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी तो उपस्थित जनसमूहों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि 'ए नरेंद्र मोदी तुम तो पीएम कभी नहीं बनोगे लेकिन तुम्हें एक सुझाव देता हूं कि कांग्रेस कार्यालय के बाहर एक चाय की दुकान खोलकर बैठ जाओ'।
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इसलिये लोगों में इस बात की चर्चा होने लगी कि नरेंद्र मोदी आखिर कैसे जवाब देते हैं। उस जवाब का हम यहां जिक्र नहीं करेंगे कि राजधानी के रामलीला मैदान से नरेंद्र मोदी ने कैसे जवाब दिया फिर 'चाय पे चर्चा' कितनी लोकप्रिय हुई। फिर मोदी के लिये सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचने में मणिशंकर अय्यर के इस बयान ने कितनी बड़ी भूमिका निभाई।
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अमित शाह के जवाब में दिखा सफलता का राज
हम फिर से दिल्ली के दिल में स्थित कनॉट प्लेस के एनडीएमसी पहुंचते है जहां जब नरेंद्र मोदी से पहले पहुंचे अमित शाह लॉन में टहल रहे थे तो मैंने उनसे पूछा कि आपको उत्तरप्रदेश का प्रभारी बनाया गया है लेकिन आप पार्टी को यूपी में कितना चुनौती मानते है? तो उन्होंने जो जवाब दिया वो उनकी उस सोच को प्रतिबिंब करता है जो राजनीति में शाह की लंबी छलांग की एक बानगी मात्र है।
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जब बने अमित शाह सुपस्टार नेता
अमित शाह ने बहुत ही सहज जवाब दिया लेकिन तार्किक- ' देखिये हम अपनी लाईन लंबी खींचने में विश्वास करते है। हम किसी की लकीर छोटी करने पर समय नहीं गंवाते है। मेरा मानना है कि हम सभी पार्टी के कार्यकर्ता उत्तरप्रदेश में इतना अच्छा काम करेंगे जिसमें आप पार्टी के लिये जगह ही नहीं बचेगी।' जो समय के साथ सही साबित हुआ जब मई 2014 में लोक सभा चुनाव परिणाम आया तो उत्तरप्रदेश के 80 लोकसभा सीट में से 73 सीटें आई। रातोंरात अमित शाह बीजेपी के नरेंद्र मोदी के बाद सबसे बड़े सुपरस्टार नेता साबित हुए।
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नरेंद्र मोदी से है चार दशक पुराना रिश्ता
अमित शाह वैसे तो राजनीति में काफी दिनों से सक्रिय है। उसमें भी ज्यादा उनकी नरेंद्र मोदी के साथ जोड़ी लगभग चार दशक पुरानी है। वे देश के गृह मंत्री बनने से पहले कभी गुजरात के भी गृह मंत्री रह चुके है। नरेंद्र मोदी के लिये अमित शाह की कितनी अहमियत है अगर इसको समझना है तो 2 बहुत ही महत्वपूर्ण उदाहरण है। जो मोदी को राजनीति में लंबी छलांग लगाने में जबरदस्त भूमिका निभाई।
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अमित शाह को मोदी ने बनाया गुजरात में गृह मंत्री
एक समय जब गुजरात बीजेपी में चल रहे उठापटक के कारण नरेंद्र मोदी को राज्य में जाने पर अटल-आडवाणी ने रोक लगा दी थी तो उस समय यहीं अमित शाह, नरेंद्र मोदी की आंख-कान थे। गुजरात में बीजेपी और केशुभाई पटेल सरकार में चल रहे एक-एक गतिविधि को अमित शाह ने नरेंद्र मोदी तक बखूबी से पहुंचाया। जिसका फायदा अमित शाह को तब मिला जब अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी को अटल-आडवाणी ने राज्य में सीएम के तौर पर दिल्ली से भेजा तो उन्होंने अमित शाह को ईनाम के तौर पर गृह मंत्री बनाया।
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राजनीति में मोदी-शाह की रही है हिट जोड़ी
यह जोड़ी मोदी-शाह की चल पड़ी। इसकी चर्चा अब धीरे-धीरे गुजरात की सीमा को लांघते हुए कभी-कभार देश के किसी कोने में भी होने लगी। हालांकि तब भी अमित शाह देश के चौक-चौराहे पर स्थित चाय की दुकान पर चर्चा का विषय नहीं बने थे। लेकिन अमित शाह के राजनीतिक जीवन में तब उतार आया जब सौहराबुद्दीन और इशरत जहां के एनकांउटर के कारण न सिर्फ गृह मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा बल्कि उन्हें जुलाई 2010 में जेल की हवा भी खानी पड़ी। फिर जमानत पर बाहर आने के बाद कोर्ट ने अमित शाह को गुजरात से बाहर जाने का आदेश भी दे दिया।
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जब अमित शाह को आना पड़ा दिल्ली
अमित शाह बड़े बेमन से दिल्ली 2010 के अंत में आ गए। लगभग 2 साल दिल्ली के गुजरात भवन में रहते हुए उनके लिये यह शहर अनजान था। यहां बीजेपी के बड़े-बड़े नेता थे। जिनसे मिलने के लिये अमित शाह को घंटो उनके ऑफिस के बाहर इंतजार करना पड़ता। लेकिन इस बुरे समय का भी उपयोग इतने अच्छे से किया कि फिर से नरेंद्र मोदी के लिये वरदान साबित हुए।
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शाह ने बनाया मोदी के लिये रास्ता
अमित शाह ने एक-एक करके सभी राष्ट्रीय बीजेपी के नेता को साधते-साधते मोदी को आखिरकार पीएम केंडिडेट के लिये तैयार ही कर लिया। जबकि 2013 मई तक पीएम के लिये केंडिडेट स्वाभाविक तौर पर पार्टी के सबसे Stalwart leader लालकृष्ण आडवाणी ही थे। अटल बिहारी के बाद पार्टी में सबसे स्वीकार्य नेता लालकृष्ण आडवाणी ही थे, इसमें न तो किसी को संदेह कभी रहा और न ही किसी नेता ने उन्हें चुनौती दी थी।
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आडवाणी के प्रिय शिष्य रहे है मोदी
हालांकि आडवाणी के सामने भले ही सभी नेता नतमस्तक रहते हो लेकिन सबसे बड़ी चुनौती उन्हें उनके ही सबसे प्रिय शिष्य नरेंद्र मोदी ने पेश कर दिया। और इस नरेंद्र मोदी के लिये बीजेपी के सभी नेताओं को एक-एक करके मनाने का काम यही अमित शाह ने किया। अमित शाह ने पीएम केंडिडेट के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी के जगह पर नरेंद्र मोदी को आखिर बीजेपी क्यों चुनेगी- इसका जवाब देने के लिये अपने तरकश से ऐसे-ऐसे तर्क भरे तीर निकालें जो सभी शीर्ष नेताओं (आडवाणी को छोड़कर) को सोचने पर मजबूर कर दिया।
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वर्तमान भारतीय राजनीति में अगर कोई नेता केलकुलेटिव पॉलिटिक्स के लिये जाना जाएगा तो उसमें भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नाम आएगा। यह बीजेपी के द्वय शीर्ष नेता अच्छी तरह जानता है कि कब कौन-सा मु्द्दा उठाना है। उससे भी ज्यादा किसको ठंडे बस्ते में डाल देना है। और यही अलग राजनीति उन्हें पक्ष और विपक्ष में अलग खड़ा कर देता है।
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देश के गृह मंत्री बनें अमित शाह
तभी तो मोदी सरकार के फिर से केंद्र की सत्ता में दुबारा लौटने के बाद जब पीएम नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह को अपने कैबिनेट में जगह दी तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। देश तो तब चौंक गया जब 5 अगस्त को लोकसभा में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर से धारा 370 को सदा-सदा के लिये हटाने की घोषणा की। देश ने पहली बार नरेंद्र मोदी के बाद सबसे मजबूत नेता के तौर पर एक ओर नेता-अमित शाह को उभरते देखा। सबसे बड़ी बात अमित शाह ने संसद में जो जोरदार भाषण दिया उससे उनकी लोकप्रियता जबरदस्त उछाल आई।
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शाह की देश में बढ़ी है लोकप्रियता
इसके बाद जब तीन तलाक के संसद से पास होने के बाद एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह को सुनने पहुंचा तो मैं दंग रह गया। जितनी भीड़ हॉल के अंदर मौजूद थी उससे भी ज्यादा यानी दोगुना उस हॉल के बाहर था। मैं किसी तरह अंदर पहुंचा तो तब अमित शाह से तकरीबन 5 साल पहले मिलने और अब उनके ग्राफ को जोड़ा तो महसूस किया कि यह व्यक्ति आने वाले दिनों में ओर ज्यादा चौंकाने वाला है जिसके लिये हम सबको तैयार रहना चाहिये।
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मोदी के बाद बीजेपी के लिये सबसे भरोसेमंद नेता
अभी फिलहाल नागरिकता संशोधन बिल को पेश करते हुए फिर अमित शाह का प्रभावी भाषण संसद में हुआ जिसकी चर्चा बहुत हुई है। आने वाले दिनों में नरेंद्र मोदी के बाद अगर कोई पीएम केंडिडेट का अघोषित उम्मीदवार होगा तो वो अमित शाह ही होंगे। यह मैसेज भी देश और दुनिया को मिल चुका है। बीजेपी में नरेंद्र मोदी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रेस में अमित शाह सबसे आगे है। अब यह तय हो चुका है।
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