नई दिल्ली/कामिनी बिष्ट। पूरे देश की राजनीति का केंद्र बनी रहने वाली दिल्ली ने साल 2020 में शुरुआत से ही जमकर बवाल देखे। CAA विरोध से लेकर विधानसभा चुनावों की हलचल, दिल्ली दंगा (Delhi Riots) या फिर कोरोना (Coronavirus) की मार। हर नए माह के साथ नई दिक्कतें और उनसे उपजते राजनीतिक मुद्दे सुर्खियों में बने रहे। चुनावों में 70 में से 62 सीट दिलाकर आम आदमी पार्टी को दिल्लीवालों ने प्रचंड बहुत दिया। वहीं बीजेपी को पिछले साल के चुनावों से कुछ बढ़त तो मिली लेकिन महज 8 सीट पर ही उन्हें संतोष करना पड़ा। इसके बाद भी बीजेपी लगातार अपनी पूरी ताकत के साथ सालभर केजरीवाल सरकार को घेरती दिखी। चुनावों के दौरान मुफ्त योजनाओं पर कटाक्ष करना हो या फिर दिल्ली दंगों में आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन का मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आने के बाद केजरीवाल के नेताओं को आड़े हाथ लेना। भारतीय जनता पार्टी ने लगातार केजरीवाल सरका को घेरने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया। आइए जानते हैं कि किन 5 बड़े मुद्दों पर बीजेपी ने इस साल केजरीवाल सरकार को घेरा।
1. CAA विरोध और शाहीन बाग में AAP को घसीटने की कोशिश! संशोधित नागरिकता कानून 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास होने के बाद देश में इसका विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ने लगा। पहले जहां असम में ही इसका विरोध दिख रहा था वहीं धीरे धीरे इसकी लपटें दिल्ली तक पहुंच गईं। इसी दौरान फरवरी 2020 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे। केजरीवाल सरकार विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में थी लेकिन बीजेपी ने चुनाव के अंत तक आते आते शाहीन बाग में हो रहे सीएए के विरोध प्रदर्शन को चुनावी केंद्र में तब्दली कर दिया। इससे पहले केजरीवाल सरकार लगातार सीएए विरोध के मुद्दे को दिल्ली की राजनीति में लाने से बचाती रही, लेकिन बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने अमित शाह के नेतृत्तव में शाहीन बाग को लेकर आपत्तीजनक बयान दे डाले। वहीं केजरीवाल सरकार पर सीएए विरोधियों का साथ देने का आरोप लगाया गया। लंबे समय तक शाहीन बाग का धरना चलने से जिन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था उनके सम्मुख इस मुद्दे को जमकर भुनाया गया। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रवाद का कार्ड खेल बीजेपी के दिग्गज नेताओ ने दिल्ली की जनता से अपील की कि 'ईवीएम का बटन इतनी जोर से दबाएं की उसका करंट शाहीन बाग तक पहुंचे'। हालांकि केजरीवाल सरकार फिर भी लगातार मुफ्त योजनाओं, बिजली, पानी, बसों, सीसीटीवी कैमरा, फ्री वाई-फाई जैसे मुद्दों पर ही चुनाव लड़ती दिखी और अंत में प्रचंड जीत भी हासिल की।
2. चुनाव के दौरान केजरीवाल सरकार की मुफ्त योजाएं और बीजेपी के तंज दिल्ली के विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने 2019 के अंत में ही दिल्लीवालों के लिए मुफ्त योजनाओं की झड़ी लगा दी। बसों को महिलाओं के लिए फ्री करना, 200 यूनिट तक बिजली फ्री कर देना, पुराना पानी का बिल माफ कर देना, सीवर की फ्री सफाई, दुर्घटना में घायलों का फ्री इलाज, और घायलों की मदद् करने वालों को दिल्ली के फरिश्ते की उपाधी, अच्छी शिक्षा, बेहतर स्कूल, वर्ल्ड क्लस सड़कें, हाइटैक ऐसी बसें जैसी कई योजनाएं लाकर चुनाव तक आम आदमी पार्टी ने दिल्लीवालों का दिल जीतने के लिए माहौल पूरी तरह से तैयार कर दिया था। वहीं बीजेपी ने इन मुफ्त योजनाओं पर ही केजरीवाल सरकार को घेरना शुरू कर दिया। आप सरकार को 'फ्री बी' कहा जाने लगा। बीजेपी ने जनता के बीच जाकर फ्री योजनाओं को चुनाव जीतने का फार्मूला बताया। बीेजेपी के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि केजरीवाल फ्री योजनाओं के जरिए दिल्ली के वोटरों को खरीदना चाहते हैं और चुनाव खत्म होते ही ये योजनाएं बंद कर दी जाएंगी, हालांकि दिल्ली की जनता पर बीजेपी की इन बातों का कोई खास असर होता दिखाई नहीं दिया।
3. कोरोना काल में केजरीवाल सरकार को बीजेपी ने ऐसे घेरा 2 मार्च को राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस का पहला केस सामने आया। 25 फरवरी को रोहित दत्ता नाम के शख्स इटली से वापस लौटे थे। 2 मार्च को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसी के साथ दिल्ली में कोरोना के मामलों की शुरूआत हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे दिल्ली में कोरोना के केस बढ़ने लगे और14 मार्च को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक 68 साल की महिला की कोरोना से मौत हो गई। 22 मार्च को पीएम मोदी ने देशभर में एक दिन का वॉलंटियर कर्फ्यू का ऐलान किया। लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार मजदूरों पर पड़ी। उद्योग-फैक्ट्रियां-निर्माण कार्य बंद हो गया। मजदूरों को भी घरों में बंद होना पड़ा। इसके बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। मजदूरों की जान जोखिम में डालने का आरोप केंद्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर लगाते रहे। बीजेपी का आरोप था कि कोरोना संकट के दौर में आप सरकार मजदूरों को बसों में भरकर यूपी बॉर्डर छोड़ रही है। हालांकि इस आरोप को केजरीवाल सरकार ने खारिज कर दिया। इसके बाद कोरोना से हो रही मौतें, अस्पतालों में बेड्स की संख्या, संक्रमण बढ़ने को लेकर बीजेपी लगातार केजरीवाल सरकार को घेरती दिखी। वहीं बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने का भी आरोप लगाया।
4. नगर निगम के फंड को लेकर बीजेपी ने केरीवाल सरकार को घेरा दिल्ली सरकार और नगर निगमों के बीच होने वाली तकरार कोई नई बात नहीं है। आम आदमी पार्टी प्रशासित दिल्ली सरकार जहां एक ओर निगम पर पैसे का घोटाला करने और कामचोरी का आरोप लगाती रही है वहीं बीजेपी प्रशासित निगम दिल्ली सरकार पर फंड न देने का आरोप लगाता आया है। इस साल फंड रिलीज करने को लेकर निगम ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर धरना तक दे दिया। कई दिन तक तीनों निगमों के मेयर और महिला पार्षद सीएम आवास के बाहर फंड रिलीज करने की मांग को लेकर धरना देते रहे। इस दौरान दो नेता बीमार भी पड़े। इस प्रकार से सीएम आवाल के बाहर धरना देने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा जब स्थानीय लोगों ने धरने का विरोध किया और दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। हालांकि इसके बाद भी बीजेपी नेता टस से मस नहीं हुए। बाद में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने धरना स्थल पहुंचकर नेताओं का धरना खत्म करवाया। हालांकि अब भी फंड को लेकर बीजेपी और आप के बीच जुबानी जंग जारी है।
5. प्रदूषण के मुद्दे पर होता रहा आरोप प्रत्यारोप सालों से प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली इस बार लॉकडाउन के दौरान सांस लेने लगी थी। वातारवरण स्वच्छ दिखने लगा था और यमुना साफ हो गई थी, लेकिन ऐसा ज्यादा दिन नहीं रहा और अनकलॉक के बाद से दिल्ली अपने पुराने हालात में आ गई। ठीक उसी प्रकार जैसे हर साल ठंड के दस्त देते ही कोहरे और प्रदूषण की चादर दिल्ली ओढ़ लेती है और नेता जमकर उस पर राजनीति करते हैं। इस साल भी प्रदूषण ने सियासी गलियारों का AQI जमकर बढ़ाया। बीजेपी ने केजरीवाल सरकार को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया और केजरीवाल सरकार ने पड़ोसी राज्यों से निकलने वाले पराली के धुएं को। हालांकि अपनी ओर से केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए पराली को खाद में बदलने वाला घोल किसानों को उपलब्ध करवाया, रेट लाइट और गाड़ी ऑफ अभियान चलाया। पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ का महाअभियान चालाया, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण खराब स्थिति में अब भी बना हुआ है।
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