नई दिल्ली/कामिनी बिष्ट। साल 2020 जा रहा है। 2020 में क्या कुछ खास रहा हम लगातार आपको सफरनामा (Safarnama 2020) में बता रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम गुपकार गठबंधन (Gupkar Alliance) के बारे में विस्तार से जानेंगे। हालांकि गुपकार गठबंधन 2019 में हुआ था लेकिन 2020 में खासा चर्चाओं में रहा। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि गुपकार क्या है? गुपकार गठबंधन क्या है? गुपकार गठबंधन का लक्ष्य क्या है और गुपकार गठबंधन क्यों हुआ?
गुपकार गठबंधन क्या है ? महीना था अगस्त का और साल 2019। जम्मू-कश्मीर में सेना की तैनाती केंद्र सरकार ने बढ़ा दी थी। कई तरह की पाबंदियां बढ़ा दी गईं थीं। सेना के ट्रक लगातार आ-जा रहे थे। माहौल ऐसा बन गया था मानो कुछ बड़ा होने वाला है। इसी कुछ होने की आशंका को लेकर 4 अगस्त 2019 को 08 दलों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुला के श्रीनगर गुपकार रोड स्थित आवास पर एक बैठक की। इन 08 दलों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ एक नया गठबंधन बनाने का ऐलान किया। इस दौरान घोषणा की गई कि ये सभी दल मिलकर जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे और उसकी स्वायत्ता को बचाने का पूरा प्रयास करेंगे। चूंकि ये गठबंधन गुपकार रोड स्थित आवास पर हुआ था इसलिए इसे गुपकार गठबंधन का नाम दिया गया।
गुपकार गठबंधन की घोषणाएं 5 अगस्त 2019 को केंद्र की बीजेपी सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35 (A) को समाप्त कर दिया था। इसके बाद जम्मू कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए गुपकार गठबंधन के बड़े नेताओं से लेकर कई छोटे नेताओं और कार्यकर्ताओं को कैद कर लिया गया। कई महीनों नजरबंद रहने के बाद जब इन नेताओं को रिहा किया गया तो घाटी में एक बार फिर से सियासी बैठकों का दौर शुरू हो गया।
अक्टूबर के महीने में हुई बैठक में रिहाई के बाद पहली बार मेहबूबा मुफ्ती भी शामिल हुई। इस बैठक में उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन, यूसफ तारागामी समेत कई अन्य नेताओं ने भाग लिया। इस बैठक को पीपुल्स अलासंय फार डिक्लेरेशन का नाम दिया गया। साथ ही इसमें लक्ष्य रखा गया कि सभी दल मिलकर जम्मू-कश्मीर और लदाख में फिर से विशेष दर्जे की बहाली करवाएंगे।
गुपकार घोषणा 2 वहीं फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने रातों रात राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया। स्थानीय नेताओं को नजर बंद कर दिया। विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद कश्मीर का पूरा माहौल ही बदल गया। यहां लोग खुश नहीं है, इसलिए सरकार को राज्य का विशेष दर्जा वापस देना होगा। जम्मू कश्मीर के सभी स्थानीय दल इसके लिए एकजुट हो गए हैं। 22 अगस्त 2020 को जम्मू कश्मीर के 6 राजनीतिक दलों ने गुपकार घोषणा 2 पर हस्ताक्षर कर दिए। जिसमें अनुच्छेद 370 और 35 (A) की बहाली का महासंकल्प लिया गया।
शाह के 'गुपकार गैंग' वाले ट्वीट इन बैठकों पर केंद्र की लगातार नजर बनी ही रही। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री ने 17 नवंबर को ट्वीट कर लिखा कि जम्मू और कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। भारतीय लोग अब हमारे राष्ट्रीय हित के खिलाफ अपवित्र ग्लोबल गठबंधन ’को बर्दाश्त नहीं करेंगे। या तो गुप्कर गैंग राष्ट्रीय भावनाओं को समझते हुए उनके साथ हो ले या फिर देशवासी ही इसे डुबो देंगे।
एक अन्य ट्वीट में शाह ने लिखा कि कांग्रेस और गुप्कर गैंग जम्मू-कश्मीर को आतंक और अशांति के युग में वापस ले जाना चाहते हैं। वे अनुच्छेद 370 को हटाकर दलितों, महिलाओं और आदिवासियों के अधिकारों को छीनना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्हें हर जगह लोगों द्वारा अस्वीकार किया जा रहा है।
गुपकार के साथ होने से कांग्रेस का इनकार शाह के इस ट्वीट का मुफ्ती समेत कई नेताओं ने विरोध किया। वहीं 18 नवंबर को कांग्रेस ने ट्वीट कर साफ कर दिया कि वो गुपकार गठबंधन का हिस्सा नहीं है और वो देश के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के लोगों के संवैधानिक अधिकारों के साथ खड़ी है।
गुपकार गठबंधन को DDC चुनाव में 110 सीटें वहीं अनुच्छेद 370 को हटाए जाने एवं राज्य के पुनर्गठन के बाद पहली बार करवाए गए जिला विकास परिषद के चुनावों में कश्मीर की आवाम ने ‘गुपकार गठबंधन’ को जबकि जम्मू संभाग के अधिकांश सीटों पर ‘कमल’ को जिताया है। इन चुनावों में गुपकार को 110 और बीजेपी को 75 सीटों पर जीत मिली है। अब देखना ये है कि साल 2021 में गुपकार गैंग क्या नई रणनीति अपनाता है।
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