नई दिल्ली/कामिनी बिष्ट। सन् 2020 एक ऐसा साल जिसे पूरी दुनिया कभी नहीं भूल सकेगी। साल की शुरुआत से ही जहां एक महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचाना शुरू कर दिया था, तो वहीं भारत में केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए संशोधित नागरिकता कानून का विरोध चरम पर था। ये विरोध देश की राजधानी को गहरे जख्म दे गया। विरोध हिंसक हुए और दिल्ली ने सांप्रदायिक दंगों का दंश झेला। जब उत्तरपूर्वी दिल्ली दंगों से धधक रही थी तो शाहीन बाग मात्र एक ऐसा धरना स्थल था जहां पर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन चल रहा था और कोरोना लॉकडाउन लगने तक लगातार चलता रहा। इस धरना स्थल का नाम दिल्ली विधानसभा चुनावों में जमकर उपयोग किया गया। आइए जानते हैं कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का ये स्थल 'शाहीन बाग' कैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव का मुख्य केंद्र बन गया।
9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में और 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में संशोधित नागरिकता कानून पास होने के बाद देश में इसका विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ने लगा। असम से शुरु हुए विरोध दिल्ली तक पहुंचे और शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ 15 दिसंबर 2019 से ही धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। फरवरी 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव होने थे। केजरीवाल सरकार की रणनीति विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ने की थी और उनकी जीत तय मानी जा रही थी। लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं की जनसभाओं में शाहीन बाग के खिलाफ नारे गूंजने लगे।
EVM के बटन से शाहीन बाग में करंट लगाने की शाह की अपील बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर जेपी नड्डा बैठ चुके थे, लेकिन दिल्ली चुनाव की कमान अमित शाह ने अपने हाथों में ही ली हुई थी। दिल्ली जीतने के लिए खुद अमित शाह ने कई रैलियां और जनसंवाद किए और हर जगह शाहीन बाग का नाम लेना और वहां बैठे लोगों को कभी प्रत्यक्ष तो कभी परोक्ष रूप से देशविरोधी कहने से वो नहीं चूके। शाह ने अपनी जनसभा में दिल्ली की जनता से अपील की कि ईवीएम का बटन इतनी तेज दबाना कि करंट शाहीन बाग तक पहुंचे।
शाहीनबाग के खिलाफ जब बीजेपी नेताओं ने दिए भड़काऊ बयान बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने दिल्ली में कई रैलियां की और संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ जमकर माहौल बनाया। जिन नेताओं ने शाहीनबाग के खिलाफ 'जहर' उगला उनमें उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और कपिल मिश्रा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा पर उनके भड़काऊ भाषणों के खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई की गई और उनको प्रचार करने से रोक भी गया।
बीजेपी ने AAP और Cong को बताया शाहीनबाग वालों का हितैशी बीजेपी ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर शाहीन बाग में बैठी महिलाओं की मदद करने, उनको वहां बैठने के पैसे देने तक का आरोप लगाया। बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों को पूरी तरह से शाहीन बाग पर केंद्रित कर वोट बटोरने की नाकाम कोशिश की। इन चुनावों में बीजेपी की रणनीति सीएए समर्थक और विरोधियों को बांट कर अपना जनाधार बढ़ाने की दिखी। वहीं आम आदमी पार्टी अपनी निर्धारित रणनीति के तहत विकास के मुद्दों की चर्चा लोगों के बीच करती रही और केजरीवाल सरकार द्वारा 5 साल में किए गए कामों को गिनवाती रही।
AAP ने फेल कर दी बीजेपी की रणनीति सांप्रदायिक तराजू पर न बैठने का पैंतरा चलते हुए 'आप' ने बीजेपी नेताओं के लगातार दिए जाने वाले भड़काऊ बयानों को नजरअंदाज किया। वहीं बीजेपी द्वारा AAP की हिंदू विरोधी और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टी की छवि बनाने की रणनीति को तब फेल कर दिया, जब आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने खुद को बजरंग बली का भक्त बताया और मंदिर जाकर पूजा अर्चना की। दरअसल बीजेपी के पास 'आप' को घेरने के लिए न तो एक दमदार सीएम का चेहरा था और न ही कोई ठोस मुद्दा। ऐसे में शाहीनबाग को चुनावी केंद्र बनाकर और राष्ट्रवाद का कार्ड खेल बीजेपी दिल्ली जीतने की जुगत में थी, लेकिन उसमें सफलता हासिल न कर सकी। शाहीन बाग का धरना चुनावों के बाद भी चलता रहा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी गया, लेकिन हल न निकला। इसके बाद कोरोना लॉकडाउन के कारण यहां बैठी महिलाओं ने धरना बंद कर दिया।
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