Friday, Mar 24, 2023
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सफरनामाः मोदी-शाह के लिये क्यों मुश्किल भरा रहा 2020 साल ? लगा सुधार पर ब्रेक

  • Updated on 12/29/2020

नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। राज्य से केंद्र की सत्ता में आए नरेंद्र मोदी को 7 साल बीत गए है। लेकिन साल 2020 मोदी के लिये सबसे मुश्किल साल में से एक है। अगर कहा जाए कि नरेंद्र मोदी के पूरे 20 साल के शासनकाल में मौजूदा समय में एक-एक फैसला लेना उनके लिये कोई आसान नहीं रहा। यह कहना गलत नहीं होगा। 

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कोरोना के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था

दरअसल सब कुछ पटरी पर तेज गति से दौड़ता नजर रहा था। यानी 2014 के लोकसभा चुनाव में परचम लहराने के बाद पूरे दमखम से नरेंद्र मोदी ने सरकार 5 साल तक चलाया। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी उतरे,तो विपक्षी दलों से लेकर कई राजनीतिक पंडितों तक उनके दुबारा शासन में आने पर संदेह भरे नजर से देख रहे थे। लेकिन बीजेपी वाले इसकी परवाह किये बगैर इस बात का नारा लगाते रहे- मोदी है तो मुमकिन है। सच कहें तो भाजपाई के विश्वास को धरातल पर नरेंद्र मोदी ने चरितार्थ भी किया है। यहीं बीजेपी की अपेक्षा उनसे पिछले दो दशकों से रहा है,जिस भरोसे को आज तक उन्होंने अपने करिश्मे से कायम किया है।

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मोदी के सपने पर उठा सवाल

लेकिन जिस तेजी गति से मोदी-शाह एक बाद एक फैसले लेते रहे,उसपर 2020 मार्च से अचानक ब्रेक लग गया। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण मोदी सरकार भारी मुश्किल में है। कोरोना काल में आर्थिक नुकसान पीएम नरेंद्र मोदी की उस महात्वाकांक्षी योजना पर पानी फेर दिया जिसमें उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनोमी का लक्ष्य रखा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने न्यू इंडिया का सपना को साकार करने के लिये ही अगले 5 साल में देश की इकॉनोमी में बहुत बड़ा उछाल का सपना देखा। लेकिन दुर्भाग्य रहा कि कोरोना वायरस ने मोदी के इस सपने को धीमा कर दिया। 

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जीडीपी में आई भारी गिरावट

आलम तो यह है कि देश की जीडीपी चालू वर्ष की पहली तिमाही में अभूतपूर्व 23.9 फीसदी की गिरावट आई। जो मोदी सरकार के लिये किसी सदमा से कम नहीं था। यह गिरावट 1996 के बाद पहली बार देखने को मिला है। आखिर कोरोना वायरस के वैश्विक बढ़ते असर के बाद ही पीएम नरेंद्र मोदी को देश भर में अचानक से मार्च महीने में लॉकडाउन लागू करना पड़ा। वहीं समय-समय पर इसे केंद्र सरकार को मजबूरन बढ़ाना भी पड़ा।

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बिना तैयारी के लॉकडाउन किया लागू

कहा जाए कि यह स्थिति दशकों बाद देश की जनता और सरकार ने देखा है। कोरोना ने जनमानस को तहस-नहस कर दिया। बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों ने शहरों से अपने घर की तरफ जाने के लिये रुख किया। इस पर बहस हो सकती है कि पीएम नरेंद्र मोदी को लॉकडाउन अचानक से लागू करना चाहिये था या नहीं? इस पर अलग-अलग राय हो सकते है। हालांकि विपक्ष के इस आरोप को खारिज नहीं किया जा सकता कि लॉकडाउन बिना तैयारी के लागू करने के कारण प्रवासी मजदूरों को जो दर्द झेलना पड़ा वो काफी चिंताजनक था। 

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प्रवासी मजदूरों का दर्द आया सामने

यहीं नहीं युवाओं का रोजगार चला गया। देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर आने में शायद वर्षों लग जाए। लेकिन इतना तय है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिये साल 2020 किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। जिसको बीजेपी के द्वय नेता भूलना चाहेंगे। हालांकि मोदी सरकार की मुश्किलें सिर्फ कोरोना वायरस ने ही नहीं बढ़ाया बल्कि चीन के साथ सीमा पर तनातनी भी सिरदर्दी पैदा कर दी। जिसको भी संभालना कोरोना काल में मोदी के लिये आसान नहीं रहा है। वहीं चीन के साथ संबंध में खटास आ चुका है। 

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कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार

दूसरी तरफ केंद्र सरकार बहुत ही बेसब्री से कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रही है ताकि लोगों के भीतर जो डर कोरोना ने पैदा की है,उसे पाटा जा सकें। लेकिन सबसे बड़ा सवाल भी यहीं है कि 2025 तक क्या देश की इकॉनोमी 5 ट्रिलियन की हो पाएगी या नहीं? इसे काफी संदेह से देखा जाना उचित है। भले ही सरकार दावा करते रहे लेकिन सच्चाई अभी कोसों दूर खड़ी है।  

  

   

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