नई दिल्ली/ धीरज सिंह। कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच एक तरफ जहां सारी दुनिया ठप पड़ गई। वहीं भारत की न्याय व्यवस्था इस कोरोना काल में भी सावधानी के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करती हुई दिखाई दी। साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। कोर्ट के इस फैसले का असर भारतीय राजनीति, सामाजिक और पारिवारिक मामलों में पड़ा। आइए जानते हैं साल के 7 महत्वपूर्ण फैसले...
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कश्मीर में इंटरनेट बैन पर कोर्ट ने कही ये बात जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाए जाने के बाद सरकार ने प्रदेश में इंटरनेट सर्विस को अनंतकाल के लिए सस्पेंड कर दिया था। इस मामले की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट सर्विस को अनंतकाल के लिए सस्पेंड नहीं किया जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि धारा-144 का इस्तेमाल तभी हो सकता है जब खतरे का अंदेशा हो। धारा-144 का इस्तेमाल इसलिए नहीं हो सकता कि किसी वैध अभिव्यक्ति या लोकतांत्रिक अधिकार को दबाया जाए। उन्होंने कहा कि किसी रिस्ट्रिक्शन को संविधान के दायरे में रहकर लगाना चाहिए।
किसानों के प्रदर्शन पर 'सुप्रीम' फैसला किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन करना किसान का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदर्शन मौलिक अधिकार का पार्ट है और प्रदर्शन पब्लिक ऑर्डर के दायरे में हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा मत है कि किसानों का इस स्टेज पर प्रदर्शन की इजाजत होनी चाहिए और उसमें अवरोध पैदा नहीं किया जा सकता जब तक कि प्रदर्शनकारी शांति भंग नहीं करते।
निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा फांसी से बचने के लिए आखिरी वक्त तक निर्भया के दोषियों ने अपने आप को बचाने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन की आखिरी याचिका को 20 मार्च को सुबह साढ़े तीन बजे खारिज की और उसी सुबह 5:30 बजे में फांसी देने का आदेश दिया।
सुशांत मामले में सीबीआई जांच के आदेश सुशांत सिंह राजपूत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले में सीबीआई जांच हो। साथ ही उन्होंने महाराषट्र सरकार को सीबीआई को सहयोग करने का आदेश सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई न सिर्फ पटना के एफआईआर मामले की जांच के लिए सक्षम है बल्कि आगे भी कोई केस दर्ज होता है इस मामले में तो वह सीबीआई देखेगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी सुनवाई कोरोना वायरस के बढ़ते मामले के बीच एससी ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि देशभर की अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ये अहम फैसला लिया था। साथ ही उन्होंने देश भर के हाई कोर्ट से कहा है कि वह इसके लिए उपाय करें ताकि विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई सुनिश्चित हो सके।
कोर्ट अवमानना मामले में प्रशांत भूषण दोषी करार सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने एडवोकेट प्रशांत भूषण को कंटेप्ट ऑफ कोर्ट मामले में दोषी करार दिया गया। प्रशातं भूषण ने अपने दो ट्वीट में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को सजा देते हुए कहा कि या तो दोषी एक रुपये का जुर्माना जमा करे और नहीं तो तीन महीने की जेल होगी व इसके अलावा तीन साल के लिए कोर्ट प्रैक्टिस बैन लगाया जाएगा।
मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट कोरोना संकट के बीच 18 अप्रैल 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के उस आदेश को सही करार दिया था। जिसमें राज्यपाल ने तत्कालीन कमलनाथ सरकार समय से बहुमत साबित करने को कहा था। बता दें, सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1994 के ऐतिहासिक एसआर बोमई जजमेंट का हवाला दिया और कहा कि गवर्नर का अधिकार है कि वह फ्लोर टेस्ट के लिए सरकार को कहे। उन्होंने कहा कि अगर राज्यपाल को पहली नजर में लगता है कि सरकार अल्पमत में है तो राज्यपाल बहुमत साबित करने का आदेश दे सकता है इसमें कोई बाधा नहीं है।
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