नई दिल्ली/कुमार आलोक भास्कर। साल 2020 भारत और चीन के रिश्तें में दरार का भी गवाह रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद डोकलाम में जरुर दोनों देशों की सेना आमने-सामने रही। लेकिन फिर चीनी सेना के पीछे हटते ही विवाद खत्म हो गया। लेकिन इस साल जून में गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने पर देश भर में रोष पैदा हो गया।
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भारतीय सेना ने दिखाया पूरा दमखम
हालांकि जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने भी पूरा दमखम का परिचय दिया और कई चीनी सैनिकों को मार गिराने में सफलता हासिल की। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी और पेंगोंग झील में विवाद को सुलझाने की तमाम कूटनीति प्रयास भी सफल नहीं हो सकें। लेकिन भारतीय जवानों के हौसले भी सातवें आसमान पर दिखा। खासकरके जब पीएम नरेंद्र मोदी जब जवानों के बीच पहुंचे तो चीन को सधी और साफ-साफ संदेश मिल गया।
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विवादित पीपी-14 पर ही हुए थे खूनी संघर्ष
भारतीय सेना ने अपने इरादे से बता दिया कि विवादित पैंगॉन्ग झील के फिंगर-4 से पीछे हटने का सवाल नहीं उठता है। साथ ही भारत ने फिंगर-8 पर ही LAC का दावा ठोक कर चीन को असहज कर दिया। वहीं भारत ने साफ किया कि पीपी-14 पर से ही LAC गुजरता है,जो चीन को नागवार लगता है। पीपी-14 ही वो स्थल है जहां दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पे हुई। दरअसल भारत ने बातचीत के लिये तैयार किये गए अस्थाई कैंप को पीपी-14 से हटाने की बात कही, तो चीनी सैनिक भड़क गए। सबसे बड़ी बात चीनी सैनिक उस समझौते का भी उल्लंघन कर गए जिसके तहत LAC पर पेट्रोलिंग के लिये दोनों सेनाएं जा सकती है। लेकिन कोई भी देश कैंप नहीं लगा सकता।
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पीएम मोदी ने दिया वोकल फॉर लोकल का नारा
भारत और चीन के बीच तल्खी को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का नारा बुलंद किया। जो कोरोना काल में काफी लोकप्रिय भी हुई। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिये इसे जरुरी बताया। पीएम मोदी का यह मास्टरस्ट्रोक से भी चीन तिलमिला गया। वहीं भारत सरकार ने चीन के कई एप को प्रतिबंध करके चीन के प्रति नाराजगी भी जता दी। देश भर में चीनी सामानों का बहिष्कार का मुहिम ही छिड़ गया।
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भारत को मिला अनेक देशों का समर्थन
अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन के साथ विवाद में अमेरिका समेत तमाम विकसीत देशों ने भारत का खुलकर समर्थन किया। हालांकि विपक्षी दलों ने पीएम मोदी की तब बहुत खिंचाई की जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक नीति बनाये रखा,वो चीन के प्रति नहीं दिखाई। लेकिन इतना तो साफ है कि भले ही अंदरुनी राजनीति कुछ और इशारा कर रहा हो लेकिन वैश्विक स्तर पर चीन पर चौतरफा दवाब बनाने में भारत को सफलता तो मिल ही गई।
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