Friday, Jun 09, 2023
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स्कूल संगठनों ने 9वीं, 11वीं की संशोधित प्रोन्नति नीति पर जतायी चिंता

  • Updated on 3/15/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली के 120 से अधिक निजी स्कूलों के संगठन नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस (एनपीएससी) ने सीबीएसई को पत्र लिखकर 9वीं और 11वीं कक्षाओं के विद्याॢथयों के लिए शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा जारी संशोधित प्रोन्नति नीति पर चिंता जताई है। शिक्षा निदेशालय की ओर से शुक्रवार जारी की गई संशोधित नीति के मुताबिक आंतरिक मूल्यांकन, प्रोजेक्ट, प्रायोगिक परीक्षा या सब एक-साथ मिलाकर प्राप्त अंकों के अलावा मध्य टर्म (टर्म-1), वार्षिक (टर्म-2) परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर छात्र को प्रोन्नति किया जाएगा।

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प्रोन्नति नीति से बढ़ेगा शिक्षण का फासला ः स्कूल संगठन  
यह संशोधित नीति 2020-21 नीति का विस्तार है। एनपीएससी की अध्यक्ष सुधा आचार्य ने सीबीएसई को लिखे पत्र में कहा कि संशोधित प्रोन्नति नीति के अनुसार, किसी विद्यार्थी को एक या कई विषयों में आवश्यक 33 प्रतिशत अंक तक पहुंचने के लिए अधिकतम 15 अनुग्रह अंक दिए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, संशोधित नियमों के अनुसार, 33 प्रतिशत अंक हासिल करने में विफल रहने वाला छात्र उन सभी विषयों के लिए कंपार्टमेंट परीक्षा में बैठने के लिए पात्र है, जिसमें वह 33 प्रतिशत हासिल करने में विफल रहा है।

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प्रोन्नति नीति छात्र हित में नहीं ः जीएसटीए
चिंता की वजह यह है कि सभी विषयों में कंपार्टमेंट परीक्षा की अनुमति देने का मतलब पुन: परीक्षा लेना होगा। इससे यह पता नहीं चल पाएगा कि बच्चे ने वाकई कितना ज्ञान अर्जित किया है और इससे शिक्षण फासला बढ़ जाएगा। इसी मसले पर राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के अजयवीर ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 9वी-11वीं की प्रोमोशन नीति का स्पष्ट अर्थ हैं की सभी छात्रों को पास करना है जोकि छात्र हित में ठीक नहीं हैं।
 

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