नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दक्षिण अमेरिका के एंडीज पर्वतमाला में वैज्ञानिकों ने नौ हजार साल पुराने एक ऐसे स्थान का पता लगाया है जहां मादा शिकारियों को दफनाया जाता था। इस खोज से लंबे समय से चली आ रही उस अवधारणा को चुनौती मिलती है जिसमें कहा जाता है कि आदिम मानव को जब खाना चाहिए होता था तब पुरुष शिकार करते थे और स्त्रियां भोजन एकत्र करती थीं।
अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस से संबद्ध और अध्ययन के प्रमुख लेखक रैंडी हास ने कहा, ‘पुरातन काल में दफनाने की प्रक्रिया की एक पुरातात्विक खोज और विश्लेषण से पुरुषों के शिकारी होने की अवधारणा खारिज होती है.’
अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित खोज ऐसे समय सामने आई है जब लिंग आधारित श्रम पर बहस चल रही है।
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हास ने कहा, ‘शिकार करने वाले हालिया समुदायों में लिंग आधारित श्रम पर बहुत जोर दिया जाता है जिससे कुछ लोग यह मानने लगते हैं कि लिंग आधारित असमानता प्राकृतिक है।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि श्रम का लिंग आधारित विभाजन अपने मूल स्वरूप में भिन्न था। हमारी प्रजाति के शिकारी इतिहास में शायद यह और भी न्यायसंगत था। ’
पेरू में 2018 में ऊंचाई पर पुरातात्विक उत्खनन के दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने दफनाने के एक पुराने स्थान की खोज की थी, जिसमें शिकार करने और जानवरों को काटने के नुकीले औजार मिले थे। उस स्थल पर मिले कंकाल की हड्डियों और दांतों के विश्लेषण से पता चला कि वह संभवतः किसी मादा का कंकाल था।
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उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में मिले ऐसे 107 प्राचीन स्थलों के परीक्षण से अनुसंधानकर्ताओं ने 429 कंकालों की पहचान की। उन्होंने कहा कि प्राप्त कंकालों में से 27 लोग शिकारी थे और इनमें से 11 मादा तथा 15 नर थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह साक्ष्य इस बात को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है कि प्राचीन समय में मादाएं भी शिकार करती थीं।
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