नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पूंजी बाजार नियामक सेबी ((SEBI)) ने सोमवार को कृषि जिंसों के वायदा एवं विकल्प कारोबार परिचालन से जुड़े एक्सचेंज को किसानों और कृषक उत्पादक संगठनों (FPO) के लिये बनाये गये कोष के इस्तेमाल को लेकर दिशानिर्देश जारी किये। एक्सचेंज से कहा गया है कि वह इस धन का इस्तेमाल किसानों द्वारा कृषि उपज के भंडारण और परिवहन पर चुकाये गये मंडी शुल्क और भाड़े की प्रतिपूर्ति के लिए कर सकते हैं।
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सेबी ने यह निर्णय जिंस डेरिवेटिव सलाहकार समिति (सीडीएसी) की सिफारिशों के आधार पर लिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 2019 में जिंस कारोबार परिचालन से जुड़े बाजारों से किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीआई) के लिये एक कोष बनाने को कहा था। उनसे कहा गया कि नियामक ने जिस शुल्क को छोड़ा है उसे इस कोष में जमा कराया जाना चाहिये।
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बाजारों से तब कहा गया था कि इस कोष का इस्तेमाल किसानों और एफपीओ के कृषि जिंस वायदा एवं विकल्प बाजार में भागीदारी को सरल बनाने और उनके फायदे के लिये करने को कहा गया। सेबी ने एक प्रपत्र में कहा कि कोविड- 19 के कारण किसानों और एफपीओ के कृषि जिंस वायदा एवं विकल्प कारोबार में भागीदारी कम रहने को देखते हुये कोष का एक हिस्सा बिना इस्तेमाल के रह गया।
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इस स्थिति को ध्यान में रखते हुये जिंस बाजारों को कोष के इस्तेमाल के साथ कुछ अन्य गतिविधियों को जोडऩे का फैसला किया गया। इसमें कहा गया कि कोष का इस्तेमाल जिंस बाजारों के प्लेटफार्म के जरिये डिलीवरी के लिये क्लीयरिंग कार्पोरेशन द्वारा मान्यता प्राप्त भंडारगृहों में जमा किये गये सामान पर मंडी शुल्क, किसी अन्य मंडी उपकर के भुगतान के एवज में प्रतिपूॢत के लिये किया जा सकता है।
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प्रपत्र में यह भी कहा गया है कि इसके अलावा किसानों अथवा एफपीओ द्वारा उनकी कृषि उपज की सफाई, सुखाने, छंटाई, भंडारण और परिवहन पर आने वाली लागत की भरपाई के लिये भी किया जा सकता है। इसके साथ ही किसानों, एफपीओ को कोष से समर्थन देकर ‘‘माल के विकल्प’’ कारोबार में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित भी किया जा सकता है।
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सेबी ने जिंस बाजारों से कहा है कि वह सेबी द्वारा छोड़ी गई नियामकीय फीस के इस्तेमाल संबंधी अपनी 2020- 21 की कार्ययोजना को ऊपर उल्लेख की गई गतिविधियों को शामिल करते हुये संशोधित कर सकते हैं। इस संबंध में जरूरी जानकारी उनकी वेबसाइट पर दी जानी चाहिये।
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