नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी खराब श्रेणी तक दर्ज किया जाने लगा है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण (Pollution) का कहर बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन हो रही है।
वहीं, दिवाली के समय आसमान में धुंध छाने और लाखों लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने को देखते हुए अब इस त्योहार को उत्साह के साथ-साथ सतर्कता से मनाने के बारे में सोचने का समय आ गया है। इस समस्या का हल कुछ नवोन्मेषकों ने ‘सीड क्रैकर्स’ के रूप में निकाला है। इन्हें जलाने से प्रकाश और आवाज नहीं होती न ही कोई धुंआ निकलता है बल्कि फूल, फल और सब्जियां निकलती हैं।
इसे बनाने वाले ‘सीड पेपर इंडिया’ के संस्थापक रोशन रे ने दिल्ली में हर साल बढ़ते प्रदूषण और इससे सांस लेने में होने वाली तकलीफ के बारे में पढऩे के बाद सोचा कि इसके लिए लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत है।
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बेंगलुरू के रहने वाले रे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘जब लोग पटाखों के बारे में सोचते हैं, तो जलाना, धुआं निकलना और शोर ही दिमाग में आता है। हमें यह मानसिकता बदलने की जरूरत है कि पटाखों को जलाने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें अलग-अलग पौधों के रूप में उगाया भी जा सकता है। हमें यह समझने की जरूरत हैं कि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना भी जश्न मना सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, रे के ‘रॉकेट’ गेंदा के फूल, ‘बिजली बम’ औषधीय तुलसी के पौधे और ‘हाइड्रोजन बम’ रसदार टमाटर में बदल जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन ‘सीड क्रैकर्स’ को‘सुतली बम‘,‘हाइड्रोजन बम’और‘अनार’जैसे पटाखों का रूप दिया गया है, लेकिन ये फटते नहीं हैं। ये विभिन्न पौधों के रूप में उगते हैं।
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बता दें, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली एनसीआर के लोगों को जहरीली हवा से बचाने के लिए आज यानी 9 नवंबर मध्यरात्रि से लेकर 30 नवंबर को आधी रात तक सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि इससे पहले दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने राज्य में पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया था। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली एक पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह प्रतिबंध देश के हर उस शहर और कस्बे पर लागू होगा जहां नवंबर के महीने (पिछले साल के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) में वायु गुणवत्ता 'खराब' या उससे ऊपर की श्रेणियों में दर्ज की गई थी।
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