Tuesday, Jun 06, 2023
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किन्नर शबनम मौसी फिर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लडने को तैयार

  • Updated on 10/25/2018

मध्य प्रदेश में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों की उलटी गिनती शुरू होने के साथ ही किन्नरों ने अपने समुदाय के सदस्यों से आगे बढ़कर चुनाव लडऩे की अपील की है।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश ऐसा पहला राज्य है जिसने एक किन्नर को विधानसभा में भेजा जब शबनम मौसी 1998 में सुहागपुर सीट से जीती।

इंदौर में एक प्रैस कांफ्रैंस को सम्बोधित करते हुए किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि यदि कोई उनके समुदाय से चुनाव लडऩा चाहता है तो किन्नर अखाड़ा उसे अपना समर्थन देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

किन्नर अखाड़ा, जिसे किन्नरों का सबसे बड़ा संगठन माना जाता है, ने अपने समुदाय के सदस्यों को मध्य प्रदेश में 28 नवम्बर को होने जा रहे चुनाव लडऩे के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया है। यहां से किन्नर पहले भी चुनाव जीत चुके हैं।

हैरानी की बात है कि तीन अंतिम विधानसभा चुनावों-कर्नाटक, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश में अखाड़े ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाया था।

लगभग 20 वर्ष पूर्व शबनम मौसी ने देश की पहली ट्रांसजैंडर विधायक बन कर इतिहास रचा था। 1998 के विधानसभा चुनावों में मौसी ने अनूपपुर जिले की सुहागपुर सीट से विजय प्राप्त की थी। 

एक आजाद विधायक के तौर पर उन्होंने 320 सदस्यीय राज्य विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। उनकी चुनावी सफलता ने कमला जान जैसी अन्य किन्नरों के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया, जो जबलपुर के नजदीक कटनी नगर की मेयर बनी।

इस बात की पूरी सम्भावना है कि शबनम मौसी एक चरण में होने वाले विधानसभा चुनावों में फिर से लडऩे के लिए तैयार है। उनकी एक करीबी सहयोगी ने बताया कि मौसी जनजातीय प्रभुत्व वाले अनूपपुर में कोटमा अनारक्षित सीट से चुनाव लडऩे की योजना बना रही है। हाल ही में शबनम मौसी भोपाल स्थित राज्य कांग्रेस मुख्यालय में सदस्य बनने के लिए गई थी लेकिन बन नहीं सकी।

उल्लेखनीय है कि दिसम्बर 2009 में कमला बुआ भाजपा की सुमन अहिरवार को हराकर सागर नगर निगम के मेयर पद के लिए चुनी गई थी।

मगर कमला जान तथा कमला बुआ दोनों की ही तकनीकी आधार पर नियुक्ति नहीं हो सकी थी। भारत में अधिकतर अन्य किन्नरों की तरह कमला को एक ‘महिला’ बताया गया था मगर उसने कहा था कि वह वास्तव में एक ‘पुरुष’ है और अदालत ने उसे अपदस्थ कर दिया था। 

दो वर्ष पूर्व किन्नरों ने सबसे बड़े हिन्दू मेले, जिसे सिंहस्थ कुम्भ मेला-2016 के नाम से जाना जाता है, में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। यह मेला मंदिरों के प्राचीन उज्जैन जिला में आयोजित किया गया था। मेले से पूर्व 22 राज्यों के विभिन्न किन्नर समूहों के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक अखाड़े का गठन किया और इसे किन्नर अखाड़े का नाम दिया। इस अखाड़े का गठन शाही स्नान में  संतों तथा योगियों की तरह डुबकी लगाने की सुविधा प्राप्त करने के लिए किया गया था।

गत 5 वर्षों के दौरान मध्य प्रदेश में ट्रांसजैंडर मतदाताओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है और यह 300 को पार कर गई है। गत विधानसभा चुनावों में तीसरे ङ्क्षलग के 970 मतदाता पंजीकृत किए गए थे और हाल ही में प्रकाशित चुनावी सूची में यह संख्या बढ़कर 1286 हो गई है।

राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी वी.एल. कांता राव ने कुछ समय पहले कहा था कि ‘तीसरा ङ्क्षलग’ श्रेणी के अंतर्गत कुल 1410 लोग पंजीकृत किए गए हैं।   लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर चुटकी लेते हुए आरोप लगाया कि वह ट्रांसजैंडर समुदाय के साथ किए गए अपने वायदे को पूरा करने में असफल रहे हैं। उन्होंने बताया कि 2016 में चौहान ने ट्रांसजैंडरों के लिए महामंडल का गठन करने का वायदा किया था मगर वह उसे पूरा नहीं कर सके।

                                                                                                                                        ---अनूप दत्ता

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख (ब्लाग) में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसमें सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इसमें दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार पंजाब केसरी समूह के नहीं हैं, तथा नवोदय टाइम्स (पंजाब केसरी समूह) उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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