Wednesday, Oct 04, 2023
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Shocking Research on corona this blood group have the lowest risk of infection prsgnt

Corona पर 3 चौंकाने वाले शोध, इस ब्लड ग्रुप वालों को होता है संक्रमण का सबसे कम खतरा, पढ़े रिपोर्ट..

  • Updated on 9/22/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रही है. कोरोना के इलाज को लेकर दुनिया भर में हो रही रिसर्च में वैज्ञानिक अलग-अलग तरह के दावे कर रहे हैं। इनमें से कई दावे बेहद चौंका देने वाले हैं। 

ऐसी ही एक रिसर्च ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के द्वारा की गई है। जिसमें कोरोना को लेकर चौंकाने वाले परिणाम मिले हैं। आइये इस बारे में हम आपको बताते हैं। 

इस  ब्लड ग्रुप वालों को कम खतरा
ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर एक रिसर्च हुई है। जिसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर कोरोना का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, जिसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। कई अन्य देशों में भी इस पर रिसर्च जारी है।

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ज्यादा सुरक्षा देता है मास्क 
जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। अमेरिका की शीर्ष रिसर्च संस्था सीडीसी के निदेशक ने भी कोरोना से बचने के लिए मास्क को वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी बताया है। रिसर्च में भी ये भी बात सामने आई है कि अगर दो लोग आमने--सामने बैठे हुए हैं और मास्क लगाए हैं, सुरक्षित दूरी बनाए हैं, तो सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। 

दरअसल, वायरस से प्रोटेक्शन के लिये एंटीबॉडी होते हैं, जो वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में करीब 70% ही बन पाते हैं, जबकि मास्क से 80-85% तक सुरक्षा मिलती है।

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युवाओं के हार्ट को बना रहा निशाना
अब तक हम यही मान कर चल रहे थे कि कोरोना का संक्रमण सबसे ज्यादा फेफड़े को प्रभावित करता है और बुजुर्गों/बीमार लोगों को इससे सबसे ज्यादा खतरा होता है। लेकिन, हालिया रिसर्च में सामने आया है कि ये वायरस हार्ट को भी प्रभावित करता है। युवाओं की मृत्यु तभी होती है जब उनके हार्ट पर कोरोना का ज्यादा असर होता है। उन्हें सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है। ये भी बात सामने आई है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी उनके हार्ट में कुछ समस्या आ सकती है। 

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