Saturday, Apr 01, 2023
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shooting of dil bechara actress sanjana sanghi was upset about this djsgnt

'दिल बेचारा' की शूटिंग से पहले इस बात पर परेशान हुई थी एक्ट्रेस संजना सांघी

  • Updated on 7/17/2020

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा की अभिनेत्री संजना संघी जिनके लिए दिल बेचारा का सफर आसान नहीं था। शुरुआत में डायरेक्टर मुकेश छाबरा की एक बात पर संजना काफी परेशान हो गई थी।

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संजना ने अपने सफर के बारे में बताया
फिल्म शुरू करने के पहले संजना ने अपने सफर के बारे में बताया कि मुकेश उन्हें कहते थे 'मैं चाहता हूं तुम्हारी बोल,तुम्हारी समझ और तुम्हारा सहयोग हूबहू बंगाली कल्चर जैसा होना चाहिए जैसे कि बंगाली लोगो का होता हैं और संजना याद करती हैं कि मुझे बहुत गुस्सा आता था कि शुरू में वो कैसे मुझसे इतना कठोर माँग कर सकते हैं पर वो कहते हैं ना कि जैसे ही चीजें मुश्किल होती हैं मुश्किलें धीरे-धीरे आसान हो जाती हैं।

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कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी
6 से 7 महीने की कड़ी मेहनत करनी पड़ी। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में कुछ महीनों तक एन के शर्मा उर्फ पंडित जी के साथ वर्कशॉप और ट्रेनिंग की। उसके साथ ही दिल्ली में एक बंगाली डिक्शन शिक्षक के साथ शुरुआती बुनियादी बंगाली पाठ किया और फिर मुकेश के साथ बड़े पैमाने पर उनके एक्टिंग वर्कशॉप में कड़ी मेहनत की और फिर गंभीर बोलचाल की भाषा मैंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा मे स्नातक रह चुुकी सुष्मिता सुर के साथ ट्रेनिंग की जो अपने आप में  एक उम्दा अदाकारा भी है'।

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बंगाली में कर सकती हूं बात
फिर अंत  में हर 6-7 महीने के कठोर मेहनत के बाद मुझे ऐसा लगा कि अब मैं आराम से  बंगाली में बात कर सकती हूं और समझ सकती हूं ,बंगाली में स्वस्तिक और शशवता दा के साथ दृश्यों को समझ और सुधार सकती हूं, जो फिल्म में मेरे माता-पिता बने हैं और खुद बंगाली कलाकार हैं - वे नहीं जानते थे कि मैं उत्तर भारत से हूं, और मुझे पहली बार याद है, स्वस्तिका ने मुकेश से कहा, "अच्छा, हुआ तुमने एक बंगाली लड़की को किजी का किरदार निभाने के लिए चुना, किसी और को लेते  तो काफी मुश्किल होती "और यह उस समय की सबसे बड़ी प्रशंसा थी जो मुझे मिली "।

चुनौतीपूर्ण था किरदार
वह कहती हैं, "नई दिल्ली से होने के नाते, एक बंगाली लड़की के किरदार निभाना बहुत चुनौतीपूर्ण था। कड़ी मेहनत के बाद जब मैं सेट पर गयी तब मुझे समझ मे आया कि बंगाली भाषा सीखना कितना जरूरी था।हर बात को मैं बारीकी से समझती गयी ।और आखिरकार इस चुनौती से जीतकर अंदर से जो शक्ति महसूस हुई वो सभी सुखों से परे हैं"।

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