Wednesday, Mar 22, 2023
-->
shri krishna''''''''s 5248th birthday is on this ashtami of shribhadrapada musrnt

श्रीभाद्रपद के इस अष्टमी पर है श्रीकृष्ण का 5248वां बर्थडे, जानें विस्तार से

  • Updated on 8/30/2021

नई दिल्ली/ आशुतोष त्रिपाठी। पौराणिक गणना के अनुसार इस बार श्रीकृष्ण भगवान का 5248वां बर्थडे है। श्रीभाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर उनका जन्म हुआ था। द्वापर युग को 8 लाख 63 हजार 874 वर्ष 4 माह और 22 दिन हुए थे, इसी समय यह तिथि पड़ी थी। 

अंग्रेजी कैलेंडर से यह तारीख 21 जुलाई, 3228 ईसा पूर्व बनती है। श्रीकृष्ण 125 वर्ष, 7 माह, 7 दिन तक धरती पर वास किए थे। श्रीआद्य जगद्गुरु शंकराचार्य वैदिक शोध संस्थान, काशी के संस्थापक अध्यक्ष परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने नवोदय टाइम्स से विशेष बातचीत में बताया कि अध्ययन और अनुसंधान के बाद इन तिथियों की गणना की गई है। स्वामी ज्ञानानंद ने बताया कि पंचम वेद, महाभारत, स्कंद पुराण, श्रीमद्भागवत, देवी भागवत आदि धर्मग्रंथों का अध्ययन-अनुसंधान करने से यह सभी तथ्य प्रमाणित हुए हैं। 

‘श्रीकृष्ण योगमाया जन्माष्टमी कहें’

स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि देवकी के 8वें गर्भ में श्रीकृष्ण आए और श्रीभाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की रात भगवान ने जन्म लिया। ठीक इसी समय भगवती श्रीयोगमाया ने गोकुल में नंद बाबू के घर यशोदा के गर्भ से जन्म लिया। यह योगकन्या श्रीकृष्ण की अदृश्य शक्ति हैं और वायुमंडल में विचरण करती रहती हैं।

उनकी माया से जैसे ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, कंस कारागार के कपाट अपने आप खुल गए और वसुदेव भगवान को लेकर गोकुल की ओर चल पड़े। वहां पहुंचते ही कपाट अपने आप खुल गए और माता यशोदा के पास पालने में श्रीकृष्ण को लिटाकर, वहां से योगकन्या को लेकर वसुदेव कारागार आ गए। किसी को कुछ पता ही नहीं चला।

जब कंस को देवकी की 8वीं संतान होने की जानकारी हुई तो वह कारागार की ओर चल पड़ा। इस दौरान योगमाया की शक्ति के प्रभाव से वह कारागार तक पहुंचते-पहुंचते 18 बार गिरा। कारागार में जैसे ही उसने हाथ बढ़ाया, योगकन्या झटका देकर आकाशमंडल में चली गईं और देवराज इंद्र के रथ पर सवार होकर सीधे विंध्यधाम पहुंच गईं। श्री योगमाया शक्ति ही विंध्याचल की अष्टभुजा देवी के रूप में पूजित हैं।

चिकित्सा जगत के लिए शोध का विषय बलभद्र का जन्म 

श्रीकृष्ण के बड़े भाई भगवान बलभद्र का जन्म दुनिया की आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए शोध का बड़ा विषय है। देवकी के 7वें गर्भ में भगवान बलभद्र थे।

जन्म से 5 दिन पहले गगनचारिणी श्रीयोगमाया ने योग की शक्ति से गर्भ आकर्षण करके उसे वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी जो गोकुल में नंद के घर थीं, उनके गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया। एक तरह से गर्भ ट्रांसप्लांट कर दिया। श्रीकृष्ण जन्म से एक वर्ष पूर्व बलभद्र का जन्म हुआ था।

Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें।हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।

comments

.
.
.
.
.