नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह दिल्ली सरकार के काम में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल और केंद्र सरकार तरह-तरह के अडंगे डालने में लगी है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। सिसोदिया ने कहा कि वकीलों की नियुक्ति दिल्ली सरकार के दायरे में आती है और उपराज्यपाल का हस्तक्षेप अनुचित है।
उपमुख्यमंत्री ने डिजिटल प्रेस वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार बार-बार उपराज्यपाल के माध्यम से जनता द्वारा चुनी दिल्ली सरकार के कामों में अड़ंगा लगाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि वकीलों की नियुक्ति ट्रांसफर्ड विषय का हिस्सा है और इस पर निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार के पास है।
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'उपराज्यपाल का सरकार के काम में बार-बार हस्तक्षेप संविधान के खिलाफ' इसके बावजूद उपराज्यपाल द्वारा इनमें बार-बार हस्तक्षेप करना संविधान के खिलाफ जाना है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के कार्य को अच्छी तरह से परिभाषित किया गया है। साथ ही 4 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों की संवैधानिक बेंच ने निर्णय दिया था कि ट्रांसफर्ड विषय में निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली सरकार का है। उपराज्यपाल का नहीं।
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जनता द्वारा चुनी सरकार को जनता के हितों के लिए काम करने दें - सिसोदिया उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल को सरकार के निर्णय में अपना ओपिनियन देने के लिए वीटो पावर दी गई है, लेकिन संवैधानिक बेंच ने व्याख्या की थी कि उपराज्यपाल केवल अति दुर्लभ स्थिति में ही अपने वीटो का इस्तेमाल कर सकते हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि संवैधानिक बेंच के निर्णय के खिलाफ जाते हुए उपराज्यपाल द्वारा रोज अपने वीटो का कर दुरुपयोग जनता की चुनी सरकार को जनहित के कामों को करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि जनता ने अरविंद केजरीवाल को अपना सीएम चुना है। तो जनता द्वारा चुनी सरकार को जनता के हितों के लिए काम करने दिया जाए।
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