नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पश्चिम बंगाल का चुनावी रण (West bengal Assembly Election 2021) इन दिनों बीजेपी और टीएमसी के दिग्गजों से पटा पड़ा है। दोनो ही दलों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। ऐसे में दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर निशाना साधने का कोई भी मौका नहीं चूक रहे हैं। इसी क्रम में अलीपुरद्वार में टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने दिल्ली ने बीजेपी के चुनाव प्रचार के लिए बंगाल आ रहे नेताओं पर निशाना साधा। साथ ही उन्हें बंगाली भाषा में भाषण देने की चुनौती भी दे डाली।
इसके बाद तारकेश्वर में रैली के दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी (Smriti Irani) बंगाली में भाषण देती नजर आईं। इरानी का बंगाली में भाषण देने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
बता दें कि इस बार पश्चिम बंगाल में बीजेपी एक ओर ममता हटाओ का नारा दे रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर टीएमसी की ओर से बंगाली बनाम बहारी का मुद्दा उठाया जा रहा है। टीएमसी नेता दिल्ली से आ रहे बीजेपी नेताओं को बाहरी बताकर उन पर जमकर निशाना साध रहे हैं।
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गैर-भाजपा नेताओं को ममता बनर्जी ने लिखा पत्र उधर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैर-भाजपा नेताओं को निजी पत्र लिखा हैं जिसमें उन्होंने भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक संघवाद पर भाजपा और उसकी सरकार द्वारा ‘‘हमलों’’ को रेखांकित किया है। राज्य में दूसरे चरण के चुनाव से पहले बनर्जी का पत्र बुधवार को तृणमूल कांग्रेस ने जारी किया।
तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत गैर-भाजपा नेताओं को पत्र लिखा हैं जिसमें उन्होंने लोकतंत्र पर भाजपा के ‘‘हमले’’ को रेखांकित किया। पत्र में आरोप लगाया कि स्वतंत्रता के बाद केन्द्र-राज्य संबंध कभी इतने खराब नहीं थे जितने अब हैं।
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दिल्ली में LG को पावर दिए जाने वाले विधेयक का भी किया जिक्र तृणमूल कांग्रेस द्वारा बुधवार को जारी पत्र में बनर्जी ने कहा है, ‘‘मैं भारत में लोकतंत्र और संवैधानिक संघवाद पर भाजपा और केन्द्र में उसकी सरकार द्वारा किए गये कई हमलों को लेकर अपनी गंभीर चिंताओं से अवगत कराने के लिए आपको, और गैर-भाजपा दलों के कई नेताओं को पत्र लिख रही हूं।’’
राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक ‘‘अत्यंत चिंताजनक’’ घटनाक्रम है। उन्होंने कहा, ‘‘इस कानून के जरिये केन्द्र की भाजपा सरकार ने लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित दिल्ली की सरकार की सभी शक्तियों को छीन लिया है और उपराज्यपाल को दिल्ली का अघोषित वायसराय बना दिया गया, जो गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) के रूप में काम कर रहे हैं।’’
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