नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से सामने आते जा रहे हैं। तीसरी बार भी लॉकडाउन बढ़ाने के बावजूद देश में कोरोना संक्रमित मामले 60 हजार के पार जा चुके हैं। वहीँ, 1,889 लोगों की मौत हो चुकी है।
एक तरफ जहां सरकार कोरोना वायरस के बचाव के लिए प्रयासरत है तो वहीँ तेजी से बढ़ते संक्रमण के केस कोशिशों को कमजोर कर रहे हैं ऐसे में जरूरत है कि भारत भी दूसरे देशों की तरह रोकथाम के तरीके अपनाएं।
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सबसे ज्यादा प्रभावित देश दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर चीन के बाद अमेरिका पर टूटा है। अमेरिका में 78 हजार से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना के कारण हो चुकी हैं। जबकि यहां 13,21,000 लोग संक्रमित हैं। वहीँ, अमेरिका के बाद इटली की हालत बेहद खराब है। यहां मौत का आंकड़ा 30 हजार के पार पहुंच गया है। बीते शुक्रवार को भी यहां 243 लोगों की मौत हो गई।
उधर, फ्रांस में मरने वालों की संख्या 20 हजार के पार जा चुकी हैं। पिछले 24 घंटों में ही 240 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। वहीँ, ब्रिटेन में 2 लाख से ज्यादा संक्रमित मामले हैं जबकि यहां 31 हजार से ज्यादा मौतें हो गई हैं।
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कोरोना से मुक्त हुए देश वहीँ दूसरी तरफ ताइवान और दक्षिण कोरिया हैं जो कोरोना से उबर चुके हैं। इन दोनों देशों में लॉकडाउन नहीं लगाया गया, लेकिन इन देशों में नियमों को कड़े अनुशासन के साथ माना गया, उनका पालन किया गया। इन दोनों देशों ने कोरोना की शुरुआत होने पर ही अपने देशों में इससे बचने के उपाय करना शुरू कर दिए थे।
ताइवान ने लोगों को हाथ धोने और फिजिकल डिस्टेंस मेंटेन करने का आदेश दिया। इसके लिए ताइवान ने सड़कों पर जगह-जगह हाथ धोने के लिए बूथ बनाए और दूरी बनाए रखने के लिए 6 फीट की दूरी पर मार्क बनाए। इन नियमों का लोगों ने भी पूरी तरह से पालन किया।
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दक्षिण कोरिया से सीखें जबकि इस मामले में सबसे अव्वल दक्षिण कोरिया रहा है। दक्षिण कोरिया ने बिना किसी वैक्सीन, एंटीबॉडी और बड़े पैमाने पर लॉकडाउन के बिना ही इस बीमारी से उबरने में लगा है। दक्षिण कोरिया में कड़ी गाइडलाइन के साथ दफ्तर, म्यूजियम खुले हैं। लेकिन फिर भी लोग सड़कों पर कम ही देखे जा सकते हैं। जल्द ही अब स्कूल भी खुलने वाले हैं।
दक्षिण कोरिया में 10 हजार मामले सामने आने आए थे जिसमें से 9 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। मई के शुरूआती दिनों में भी 30 नए केस सामने आए हैं। इस बारे में दक्षिण कोरिया ने 3 टी मॉडल का इस्तेमाल किया, जिसका मतलब है ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट। दक्षिण कोरिया के इस मॉडल को दुनिया के दूसरे देशों को भी अपनाना चाहिए।
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भारत क्या कर सकता है हालंकि कई देश इस तरह के जोखिम को उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन अगर सुधार करना है तो सबसे पहले हेल्थ सिस्टम सुधारना होगा। दरअसल, दक्षिण कोरिया ने टेस्टिंग और आइसोलेशन पर ज्यादा जोर दिया। जिससे कोरोना के मामलों में कमी आई।
भारत में स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं और आबादी कहीं ज्यादा और ये कोरोना बढ़ने के सबसे बड़े दो मुख्य कारण है। वहीँ, जागरूकता न होना भी भारत में कोरोना बढ़ने की वजह है जिसे सरकार सुधार सकती थी। लेकिन सरकार यहां कमजोर नजर आई है। हालांकि अब जब भारत में मामले तेजी से सामने आ रहे हैं तब अस्पतालों में जगहें भरनी शुरू हो गई हैं और ये समस्या सरकार के लिए बड़ी सिरदर्दी बन गई है।
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