नई दिल्ली/टीम डिजिटल। अरुणाचल के तवांग सेक्टर में यांग्त्से के पास शुक्रवार को चीनी सैनिकों की घुसपैठ और झड़प से कई सवाल खड़े हुए हैं। आखिर चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में कैसे घुस सकते हैं? यह झड़प क्यों हुई? कहां हुई? इसके पीछे चीन का मकसद क्या है? आदि इत्यादि। इस रिपोर्ट में सेना के सूत्रों से पूरे मामले को उन्हीं सवालों के जरिए समझने की कोशिश की गई है, जो आप सबके मन में उठ रहे हैं...
एलएसी में किस तरह की झड़प हुई थी? भारत और चीन के सैनिकों ने एक-दूसरे को लाठी और डंडों से पीटा और हाथापाई भी हुई है।
यह कहां हुई और इसकी शुरुआत कैसे हुई? यह झड़प 9 दिसम्बर को तड़के लगभग 3 बजे पूर्वी तवांग में यांग्त्से नामक एक प्वाइंट के पास तवांग हाइट्स में एलएसी के साथ एक नाले में हुई थी। एलएसी का यह हिस्सा दोनों पक्षों के बीच विवादित क्षेत्रों में से एक है। भारतीय और चीनी सैनिक नाले के दोनों ओर तैनात हैं, लेकिन उस दिन लगभग 300 चीनी सैनिक भारत की तरफ आ गए थे। संतरी पर हमला होने की आवाज सुनकर करीब 70 -80 भारतीय सैनिक रात के अंधेरे में घुसपैठियों को पीछे धकेलने के लिए तेजी से जुट गए। कुछ घंटों तक लाठी-डंडे चले और हाथापाई भी हुई।
चीनी सैनिक भारतीय सीमा में क्यों आ गए? अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों को लेकर दोनों देशों की अलग- अलग धारणाएं हैं। दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं। जून 2016 में भी कुछ इसी तरह का मामला प्रकाश में आया था। उस वक्त पीएलए (पीपल्स लिब्रेशन आर्मी यानी चीनी सेना) के लगभग 250 सैनिकों ने क्षेत्र में घुसपैठ की थी लेकिन तब कोई झड़प नहीं हुई थी।
क्या चीन की घुसपैठ पूर्व नियोजित थी? पीएलए की हालिया कार्रवाई पूर्व नियोजित लगती है। क्योंकि इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी होने के कारण इस समय भारतीय सैनिक अपनी पोस्ट से पीछे आ जाते हैं, जिससे चीनी पक्ष को एक तरह की रणनीतिक बढ़त-सी मिली। कुल मिलाकर चीनी सैनिकों के लिए यह अवसर उपयुक्त था। इधर, घने बादलों ने भारतीय उपग्रहों के लिए किसी भी सैन्य टुकड़ी की आवाजाही और अन्य निर्माण गतिविधियों को कैप्चर करना भी चुनौतीपूर्ण बना दिया।
क्या इस विवाद का कोई और संदर्भ हो सकता है? यह घटना उत्तराखंड के औली में भारत-अमरीका के संयुक्त सैन्य अभ्यास पर चीन द्वारा आपत्ति जताने के कुछ दिनों बाद हुई है। चीना का दावा है कि यह ‘सैन्य अभ्यास’ 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है। यहां हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि यह तनाव ऐसे समय शुरू हुआ है जब भारत को ुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 की अध्यक्षता मिली है और पड़ोसी चीन इसका हिस्सा है।
लद्दाख में एलएसी पर क्या स्थिति है? मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के बाद से विभिन्न बिंदुओं पर इसे हल करने के लिए दोनों देश कमांडर स्तर की 16 दौर की बातचीत कर चुके हैं। पिछले दौर की वार्ता में दोनों गोगरा-हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के पेट्रोलिंग पॉइंट-15 से अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए थे। उधर, डेपसांग में चीनी निर्माण, डेमचोक में घुसपैठ और पैंगोंग झील के पास निर्माण के कारण तनाव जारी है।
दुश्मनी की भाषा बोल रहे चीनी कमांडर
एक ओर जहां चीन का राजनैतिक नेतृत्व कूटनीति की बात कर रहा है, वहीं उसके कमांडर भड़काऊ और दुश्मनी की भाषा बोल रहे हैं। पीएलए की पश्चिमी थिएटर कमान के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल लोंग शाओहुआ ने कहा कि नौ दिसम्बर को सीमा रक्षा बलों ने चीन- भारत सीमा के पूर्वी इलाके में डोंगझांग क्षेत्र में एलएसी पर चीन की तरफ नियमित गश्त की थी, जिसे अवैध रूप से रेखा पार कर भारतीय सेना द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया। हम भारतीय पक्ष से सख्ती से अग्रिम पंक्ति के बलों को नियंत्रित करने और शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए चीनी पक्ष के साथ काम करने के लिए कहते हैं।
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