नई दिल्ली/प्रियंका। कोरोना वायरस (Corona Virus) के भारत में बढ़ते मामलों को देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने संक्रमित लोगों और कोरोना के संदिग्ध लोगों को मलेरिया बुखार के इलाज में काम आने वाली दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी है। इस मंजूरी के बाद मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन को कोविड-19 यानी कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
The National Task Force for COVID19 constituted by Indian Council of Medical Research recommends the use of hydroxychloroquine for treatment of COVID19 for high-risk cases pic.twitter.com/xEIWkzPufu — ANI (@ANI) March 23, 2020
The National Task Force for COVID19 constituted by Indian Council of Medical Research recommends the use of hydroxychloroquine for treatment of COVID19 for high-risk cases pic.twitter.com/xEIWkzPufu
वहीँ भारत के बाहर भी इस दवा को लेकर बीते गुरूवार अमेरिका के स्वास्थ्य नियामक एफडीए भी हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्विन को कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूरी दे चुके हैं। लेकिन यहां सवाल ये हैं कि वाकई कोरोना को इस दवा से हराया जा सकता है? आइए इस रिपोर्ट के जरिए जानते हैं।
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इन लोगों के लिए है यह दवा इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय ( Ministry Of Health & Family Welfare) यह स्पष्ट कह चुका है कि यह दावा कोरोना संक्रमण के संदिग्ध या कोरोना वायरस के मरीज ही ले सकते हैं। मलेरिया की दवा कोरोना ठीक कर सकती है, इस बात के सामने आने के बाद मेडिकल स्टोर्स पर हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्विन गायब है। लोगों ने अपने घरों पर इसका स्टॉक इक्कठा कर लिया है। जबकि मंत्रालय के अनुसार किसी नार्मल व्यक्ति को ये दवा नहीं लेनी है। इसकी डोज बेहद खतरनाक भी हो सकती है।
बच्चों के लिए नहीं है दवा वहीँ मंत्रालय ने साफ किया है कि यह दावा बच्चों के लिए नहीं है। यह दवा 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए नहीं है। इसके अलावा आंख की प्रॉब्लम वाले लोग इस दवा का इस्तेमाल नहीं कर सकते है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि किसी रजिस्टर्ड डॉ की सलाह से इस दवा को एक सीमित मात्रा में लेना है। इस दवा को लेने के लिए बताया गया है कि इसे पहले 400 मिलीग्राम दिन में दो बार लिया जाएगा। इसके बाद 400 मिलीग्राम सप्ताह में एक बार 7 हफ्तों तक लिया जाएगा।
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क्या हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्विन कोरोना को खत्म करेगा जानकारों का कहना है कि अभी इस दवा पर लगातार ट्रायल चल रहे हैं हालांकि यह दावा कोरोना के खतरे को कम कर सकती है लेकिन उससे पूरी तरह बचाएगी ये अभी तक पता नहीं चल सका है। दरअसल, जानकारों की माने तो यह दवा कोरोना के इफेक्ट को कम कर देती है। यानी कोरोना जब व्यक्ति के फेफड़े जकड़ लेता है तब यह दवा फेफड़ों की कोशिकाओं पर काम करती है जिससे संक्रमण बढ़ नहीं पाता है और इसलिए कोरोना का मरीज गंभीर स्थिति तक पहुंचने से बच जाता है।
क्या कहतें हैं जानकर जानकारों की माने तो यह दवा कोई वैक्सीन नहीं है और न ही इससे कोरोना वायरस का मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है। यह दवा केवल मरीज को राहत दे सकती है। दरअसल, यह दवा मरीज की रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती है। जिससे मरीज रिकवर करने लगता है।
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इस दवा के अलावा और क्या हैं विकल्प इंटनेशनल जर्नल ऑफ एंटीमाइक्रोबियल एजेंट की रिपोर्ट के अनुसार, मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन के साथ एक एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन देने से कोरोना का तेज इलाज हो रहा है। शोध में पाया गया है कि क्लोरोक्वीन के साथ एजिथ्रोमाइसिन देने से परिणाम बेहतर मिल रहे हैं।
इसके अलावा, आईसीएमआर ने दो एंटी रेट्रो वायरल दवाएं लोपिनावीर और रिटोनावीर के प्रयोग के बारे में बताया है। यह दवाएं एचआईवी/एड्स के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। चीन, भारत समेत कई देशों में ये दवाएं मरीजों पर आजमाई गई हैं।
इसके साथ ही जापानी फ्लू की दवा फविप्रिरावीर दवा अब तक कोरोना के इलाज में सबसे इफेक्टिव पाई गई है। रिपोर्ट बताती हैं कि इससे कोविड के मरीज चार दिन में ठीक हुए हैं।
इसके अलावा ईबोला की दवा रेमडेसीवीर भी कोरोना में काम कर रही है। बताया जा रहा है कि यही दवा सार्स और मर्स बीमारियों में भी कारगर रही थी। वहीँ, कुछ देशों में बर्ड फ्लू की दवा टेमिफ्लू को लेकर भी अच्छे परिणाम मिले है।
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