नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। बंबई उच्च न्यायालय से शुक्रवार को अनुरोध किया गया कि वह अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करके एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी स्टेन स्वामी की मृत्यु के मामले की मजिस्ट्रेट जांच की निगरानी करे। स्टेन स्वामी का पांच जुलाई को शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। उच्च न्यायालय के निर्देश पर स्टेन स्वामी को तलोजा जेल से इस निजी अस्पताल में दाखिल किया गया था।
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स्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने उच्च न्यायालय से कहा कि यद्यपि कार्यकर्ता का निधन हो चुका है और अब उन्हें जमानत दिए जाने का कोई प्रश्न नहीं उठता है और अब उनकी जमानत की लंबित याचिका पर गौर करने की आवश्यकता नहीं है।
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उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के ऐसे फैसले हैं जिसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय ‘‘अपनी विशेष शक्तियों ’’ का इस्तेमाल कर सकता है अथवा ऐसे आवेदकर्ताओं के लिए अभिभावक की भूमिका निभा सकता है,जो स्वयं के लिए निर्णय लेने की हालत में नहीं हैं।
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अधिवक्ता देसाई ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के अनुरूप उच्च न्यायालय से स्वामी के सहयोगी फादर फ्रेजर मासकैरनहास को स्वामी की मौत के मामले की जांच में शामिल होने की अनुमति देने का अनुरोध किया। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार इस मामले की जांच करने और मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट की प्रति उच्च न्यायालय को सौंपने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया।
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देसाई ने कहा,‘‘ हम यहां खास स्थिति देख रहे हैं क्योंकि आवेदनकर्ता की मौत हो चुकी है और उसकी अपील लंबित हैं। लेकिन उच्च न्यायालय के पास व्यापक शक्तियां हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि एजेंसी को फादर मासकैरनहास के जांच में भाग लेने पर कोई आपत्ति नहीं है इसलिए अदालत को एनएचआरसी दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए मजिस्ट्रेट को कोई निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह प्रक्रिया का हिस्सा है और उसका पालन किया जाएगा। उच्च न्यायालय में इस मामले की अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी।
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