नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध से प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही शुरू हो गया विवाद ,थमने के स्थान पर बढ़ता दिखाई दे रहा है। साक्षात्कार में सुप्रीम काउंसिल के सदस्यों के भी शामिल होने के फैसले का विरोध करने और उसे वापस लेने की मांग करने वाली कॉलेज शिक्षिका को कॉलेज प्रिंसिपल ने चेतावनी पत्र जारी किया है।
इस साल दाखिले के लिए छात्रों के होने वाले साक्षात्कारों मे सुप्रीम काउंसिल के सदस्य भी शामिल होंगे। उत्तर भारत की चर्च से संबंधित छह लोगजीबी में शामिल होते हैं,जिन्हें सुप्रीम काउंंसिल कहा जाता है। सुप्रीम काउंसिल और जीबी के अध्यक्ष दिल्ली के बिशप होते हैं।
कॉलेज शिक्षिका प्रोफेसर नंदिता नारायण प्राचार्य के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया और इस निर्णय को वापस लेने की मांग की। इसके साथ ही सोमवार को इस मुद्दे को मीडिया के भी सामने रखा। इस पर मंगलवार को कॉलेज प्रिंसिपल जॉन वर्गीज ने विरोध करने वाली शिक्षिका नंदिता नारायण (गणित विभाग) को नोटिस जारी कर, मीडिया में गलत बयान करने को लेकर चेतावनी दी है। नंदिता को यह नोटिस 13 मई 2019 के जारी प्रेस में जारी बयान के सिलसिले में मिला है।
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चर्च की बढ़ती दखलंदाजी डीयू के वातावरण के लिए सहीं नहीं: डूसू दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) ने सेंट स्टीफंस कॉलेज में चर्च की अनावश्यक रूप से बढ़ती दखलंदाजी को लेकर चिंता जताते हुए इसे डीयू के धर्मनिरपेक्ष वातावरण के लिए सहीं नहीं मानता है। सेंट स्टीफंस कॉलेज की स्थिति के सन्दर्भ में डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा कि , अन्य धार्मिक संस्थानों के बोर्डों का जिन कॉलेजों में हस्तक्षेप है (उदाहरण के लिए डीयू के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में तिरूमला तिरूपति देवास्थानम् बोर्ड ) यदि वहां धर्म आधारित आरक्षण दे दिया जाए तो क्या अन्य धर्मों के कट्टरपंथी इसे सही ठहरा पायेंगे ? सेंट स्टीफंस कॉलेज में सुप्रीम काउंसिल का एडमिशन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का फैसला ठीक नहीं है , यह सीधे तौर पर ईसाई मिशनरियों की शैक्षणिक संस्थानों में अनावश्यक रूप से दखलअंदाजी कर स्वयं के मंसूबों को लागू करने की साजिश है। यह निर्णय शीघ्र वापस लिया जाना चाहिए।
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सुप्रीम काउंसिल के प्रवेश प्रक्रिया में हस्तक्षेप का निर्णय वापस हो: एबीवीपी सेंट स्टीफंस कॉलेज में सुप्रीम काउंसिल सदस्यों को एडमिशन इंटरव्यू पैनल में शामिल करने के निर्णय की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भत्र्सना करते हुए निर्णय को वापस लेने की मांग की है। एबीवीपी का कहना है कि शिक्षा क्षेत्र से असम्बद्ध व्यक्ति या संस्था का शैक्षणिक संस्थान में अनापेक्षित हस्तक्षेप को किसी भी पैमाने पर सही नहीं ठहराया जा सकता है। एबीवीपी दिल्ली प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि इस निर्णय से अनावश्यक रूप से चर्च का हस्तक्षेप कॉलेज की शिक्षण व्यवस्था में बढ़ेगा , जो कि शैक्षणिक संस्थान में धर्मनिरपेक्ष वातावरण पर सीधा आघात है । यह निर्णय सेंट स्टीफंस कॉलेज के संविधान में वर्णित नियमों की भी अवहेलना करता है। सेंट स्टीफंस कॉलेज इस निर्णय को वापस लेते हुए प्रवेश प्रक्रिया पर पूर्वस्थिति सुनिश्चित करें और प्राध्यापक को इस निर्णय का विरोध करने पर दिए गए नोटिस को वापस ले। यदि कॉलेज प्रशासन हमारी मांगे नहीं मानता तो हमें मजबूरन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा ।
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