नई दिल्ली/टीम डिजिटल। महिपालपुर-बसंतकुंज रोड से करीब 1 किलोमीटर अंदर चलने पर कई ऐतिहासिक इमारतें दिखाई देती हैं। यहां जंगल जैसा दृश्य है और इनके बीच एक मुगलकालीन कॉलोनी के अवशेष दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि यह कई बार टूटी और कई बार बसी। दिल्ली विकास प्राधिकरण इस कॉलोनी की देखरेख कर रहा है। इतिहासकार इस कॉलोनी के अंत को लेकर सही-सही कुछ नहीं बता पाते। यह कॉलोनी ‘सुल्तान गारी आर्कियोलॉजिकल पार्क’ के नाम से जानी जाती है।
सुल्तान गारी आर्किलॉजिकल पार्क की देखभाल का दायित्व डीडीए के पास इतिहास के छात्रों में इस कॉलोनी को लेकर काफी आकर्षण है। हो भी क्यों नहीं, इतनी पुरानी कोई अन्य कॉलोनी राजधानी में अभी तक की जानकारी में नहीं है। सुल्तान गारी पार्क में मुगलकाल की दर्जनों दो मंजिला इमारतें जो टूटने के बाद खंडहर में तब्दील हो गई हैं, वह देखने को मिलेंगी। यह सभी इमारतें लाल बलुई पत्थरों से बनाई गईं हैं। जिसमें दालान, सीढिय़ां व बैठक होने के सबूत साफ देखे जा सकते हैं, इसके अलावा स्नानघर भी कुछ इमारतों में दिखाई देते हैं।
गुलाम वंश से लेकर मुगलकाल तक खुशहाल बसावट रही इस कॉलोनी में कुछ इतिहासकारों का दावा है कि पानी की कमी के चलते जब गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश ने यहां सुल्तान गारा का मकबरा बनवाया था, उस दौरान भी यहां बसावट थी और हिंदू खासकर जाटों का वर्चस्व कायम था। खिलजी, तुगलक और अंत में मुगलकाल के दौरान भी यहां काफी बसावट थी। जिसके अवशेष यहां साफ देखे जा सकते हैं। अब भी इस कॉलोनी के पीछे की ओर काफी बसावट है, जिसे पहाड़ी गांव के नाम से जाना जाता है। इस मुगलकालीन कॉलोनी में जगह-जगह कीकर के पेड़ उग आए हैं। दरअसल डीडीए के पास ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण को लेकर विशेषज्ञ की कमी है, इस कारण जिस तरह से काम होना चाहिए, नहीं हो पा रहा है।
एएसआई करना चाहती है संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एएसआई इस कॉलोनी का संरक्षण करना चाहती है। इसके लिए डीडीए को भी कहा गया है। जब डीडीए यह कॉलोनी दे देगी तो इसे हेरिटेज के रूप में विकसित किया जा सकेगा और लोगों को इसके बारे में बताया जा सकेगा।
मुगलकालीन कॉलोनी का उत्खनन जरूरी एएसआई व कई इतिहासकारों का कहना है कि सुल्तान गारी पार्क में बनी मुगलकालीन कॉलोनी में उत्खनन किया जाना ज्यादा जरूरी है, ताकि विभिन्न सभ्यताओं की जानकारी मिल सके। प्राप्त हो सके। इसके साथ ही यहां तक आने वाली सड़क जिसके हालात काफी बदतर हैं, उसका भी निर्माण किया जाना चाहिए।
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