नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सूरज एक ऐसा ग्रह है जिसकी चमक कभी कम नहीं हो सकती लेकिन अब ये बात गलत होने जा रही है। इस बारे में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सूरज की चमक कम हो रही है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती को सबसे ज्यादा उर्जा देने वाला सूरज की चमक कम हो गई है। वो क चमक रहा है, उसकी रोशनी धीमी हो गई है। वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि सूरज अब आकाशगंगा में मौजूद अपने जैसे अन्य तारों की अपेक्षा कमजोर पड़ गया है।
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वैज्ञानिकों का दावा इस बारे मे जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पिछले 9000 सालों से सूरज लगातार कमजोर होता जा रहा है। यही वजह है कि उसकी चमक भी कम होती जा रही है।
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ऐसे किया दावा इस बारे में वैज्ञानिकों ने अजब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के केपलर स्पेस टेलीस्कोप से मिले आकंड़ों का अध्ययन किया तो पाया कि आकाशगंगा में मौजूद सूरज जैसे दूसरे तारों की तुलना में सूरज की धमक और चमक कम होती जा रही है।
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ। एलेक्जेंडर शापिरो की माने तो वैज्ञानिक आकाशगंगा में सूरज जैसे 2500 तारों से तुलना के बाद सूरज के कमजोर होने के निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
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सोलर स्पाट्स हुए कम इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि सूरज पिछले हजारों सालों से शांत है। सूरज की सतह पर बनने वाले सोलर स्पॉट भी कम हुए हैं। सन 1610 के बाद से लगातार सूर्य पर बनने वाले सोलर स्पॉट घटते जा रहे हैं। अनुमान के मुताबिक पिछले साल ही करीब 264 दिनों तक सूरज में एक भी स्पॉट बनते नहीं देखा गया था।
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क्यों नहीं बने स्पॉट यहां बता दें कि सूरज में सोलर स्पॉट तभी बनते हैं जब सूरज से गर्मी की तेज लहर उठ कर ऊपर आए, जिससे बड़ा विस्फोट होता है और अंतरिक्ष में सौर तूफान उठता है। ऐसे माना जाता है सूरज 4।6 बिलियन साल पहले का है और इसलिए 9000 साल कोई मायने नहीं रखते है।
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सूर्य मे ऊर्जा दरअसल, सूरज बेसिकली हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का एक विशालतम गोला है। इन गैसों के परमाणु विखंडन से सूर्य अपने केंद्र में अपार ऊर्जा पैदा कर लेता है। पृथ्वी पर सूरज से निकलने वाली ऊर्जा का छोटा सा भाग ही पहुंचता है। जिसका 15% हिस्सा अंतरिक्ष में ही रह जाता है।
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पृथ्वी से दूरी बताया जाता है कि सूरज से पृथ्वी की औसत दूरी लगभग 14,96,00,000 किलोमीटर या 9,29,60,000 मील है और पृथ्वी तक सूरज का प्रकाश आने में 8.3 मिनट का समय लगता है। जैसे पृथ्वी और दूसरे ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह सूरज भी आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा करता रहता है। सूरज को ये परिक्रमा करनें में 22 से 25 करोड़ वर्ष लगते हैं, जिसे एक निहारिका वर्ष कहा जाता है।
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