नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को बुधवार को मंजूरी दे दी। शीर्ष अदालत ने इसके लिए सर्मिपत आयोग की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निकायवार आरक्षण प्रणाली को अधिसूचित करने की राज्य को अनुमति दे दी। इससे पहले 10 मई को न्यायालय ने आदेश पारित कर कहा था कि जब तक राज्य सरकार त्रि-परीक्षण औपचारिकता को ‘‘सभी प्रकार से’’ पूरा नहीं कर लेती, तब तक ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं की जा सकती। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने 10 मई के आदेश में संशोधन और हाल में अधिसूचित परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने की अनुमति का अनुरोध करने वाली राज्य की याचिका पर यह निर्णय सुनाया।
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याचिका में राज्य सरकार ने 12 मई की दूसरी रिपोर्ट में ओबीसी आयोग की सिफारिश के आधार पर ओबीसी और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए चार सप्ताह के भीतर आरक्षण अधिसूचित करने की अनुमति देने का भी न्यायालय से आग्रह किया। पीठ ने कहा, ‘‘ हम सर्मिपत आयोग की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निकायवार आरक्षण प्रणाली को अधिसूचित करने की भी मध्य प्रदेश को अनुमति देते हैं, जिसका पालन राज्य निर्वाचन आयोग करेगा। यह काम आज से एक सप्ताह के भीतर करना होगा। इसके बाद, राज्य निर्वाचन आयोग एक सप्ताह के भीतर संबंधित स्थानीय निकायों के संदर्भ में चुनाव कार्यक्रम जारी करेगा।’’ उसने कहा, ‘‘हम मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य सरकार द्वारा इस तारीख यानी आज तक जारी परिसीमन अधिसूचनाओं और ऊपर उल्लिखित सर्मिपत आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए संबंधित स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करने की अनुमति देते हैं।’’ पीठ ने कहा कि 10 मई को दिए गए निर्देशों में संशोधन किया जाता है।
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उसने कहा, ‘‘हम दोहराते हैं कि सभी संबंधितों पक्षों द्वारा उठाए गए कदम इस याचिका के फैसले के अधीन होंगे, जैसा कि पहले के आदेश में उल्लेख किया गया था। इस याचिका का तदनुसार निपटारा जाता है।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका 10 मई के अंतरिम आदेश में दिए गए निर्देश में संशोधन के लिए दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि कथित आदेश की तारीख से पहले की घटनाओं सहित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को अदालत के संज्ञान में नहीं लाया गया था। पीठ ने कहा कि याचिका में यह अपील की गई है कि राज्य में परिसीमन का कार्य पहले ही पूरा हो गया था और उसे 10 मई से अधिसूचित किया गया है। उसने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) यह सुनिश्चित करेगा कि जिन जगहों पर चुनाव लंबित हैं, मानसून निकट आने के कारण चुनाव आयोजित कराने की व्यवहार्यता को ध्यान में रखते हुए बिना समय गंवाए वहां स्थानीय निकायों संबंधी एक चुनाव कार्यक्रम जारी किया जाए।
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उसने कहा, ‘‘इस तरह के चुनाव कार्यक्रम जारी करने के बावजूद, मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को आवश्यकता पडऩे पर कार्यक्रम को संशोधित करने की अनुमति होगी।’’ उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 10 मई को मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को राज्य में दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कार्यक्रम की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि मध्य प्रदेश के 23,263 से अधिक स्थानीय निकाय पिछले दो वर्षों से निर्वाचित प्रतिनिधियों के बिना काम कर रहे हैं और यह ‘‘कानून के शासन के चरमराने’’ की सीमा है।
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राज्य ने आदेश में संशोधन का अनुरोध करने वाली अपनी याचिका में कहा था कि आयोग ने स्थानीय निकायवार आरक्षण के प्रतिशत के संबंध में अपनी दूसरी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। शीर्ष अदालत के 10 मई के आदेश में संशोधन का अनुरोध करने वाली एक अन्य याचिका न्यायालय में दायर की गई थी। पीठ ने 10 मई को कहा था कि 2010 के संविधान पीठ के फैसले में जिस त्रि-परीक्षण प्रक्रिया का जिक्र किया गया है, उसे जब तक पूरा नहीं कर लिया जाता, तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए किसी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा सकता।
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