Tuesday, May 30, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक की समाधान योजना साझा करने की दी इजाजत

  • Updated on 7/31/2020


नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यूनिटेक लिमिटेड का नवगठित निदेशक मण्डल संकट से जूझ रही रिअल इस्टेट फर्म के समाधान की योजना अपनी बेबसाइट पर साझा करके संबंधित पक्षकारों से सुझाव मांग सकता है। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने न्यायमित्र पवन श्री अग्रवाल के इन सुझावों का संज्ञान लिया कि अगर न्यायालय चाहे तो कंपनी के पोर्टल पर इस समाधान योजना को साझा करके पक्षकारों से सुझाव मांगे जा सकते हैं। 

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भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड के तहत नव गठित निदेशक मंडल ने यह योजना पेश की है। शीर्ष अदालत ने 20 जनवरी को यूनिटेक के करीब 12,000 परेशान मकान खरीदारों को राहत देते हुये केन्द्र को इस कंपनी का पूरा प्रबंध अपने नियंत्रण में लेने और नया निदेशक मंडल नियुक्त करके इसमें नये निदेशकों को मनोनीत करने की अनुमति दी थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान अग्रवाल ने कहा कि अगर न्यायालय उचित समझे तो इस समाधान योजना की एक प्रति नवगठित निदेशक मंडल पोर्टल पर डाल सकता है ताकि पक्षकार इसे देख सकें और चाहें तो इसमें सुझाव दे सकें। 

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पीठ ने न्याय मित्र पवन श्री अग्रवाल से अनुरोध किया कि इस समाधान योजना की एक प्रति उनके द्वारा संचालित पोर्टल पर साझा की जाये। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में यह योजना अपलोड किये जाने की तारीख से दस दिन के भीतर न्याय मित्र को सुझाव दिये जा सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि न्याय मित्र उन्हें प्राप्त सुझावों को नवगठित निदेशक मंडल के साथ साझा करेंगे। 

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शीष्र्ज्ञ अदालत ने इस साल जनवरी में केन्द्र को इस फर्म का नियंत्रण पूरी तरह अपने हाथ में लेने की अनुमति दी थी और इसके बाद उसने हरियाणा काडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी युदवीर सिंह मलिक की नये बोर्ड का अध्यक्ष एवं प्रबंधक निदेशक पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी थी। न्यायालय ने कहा था कि बोर्ड के वर्तमान निदेशकों को अधिक्रमित माना जायेगा। 

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मकान खरीदारों का धन कथित रूप से हड़पने के आरोप में पिछले तीन साल से तिहाड़ जेल में बंद यूनिटेक लि के प्रवर्तक संजय चन्द्रा को न्यायालय ने सात जुलाई को मानवीय आधार पर 30 दिन के लिये अंतरिम जमानत दी थी क्योंकि उसके माता-पिता दोनों ही कोविड-19 से संक्रमित हैं। न्यायालय ने मकान खरीदारों के करोड़ों रुपये कथित रूप से हड़पने के मामले में पिछले साल जनवरी में संजय और उनके भाई अजय चन्द्रा को जमानत देने से इंकार कर दिया था। 

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न्यायालय ने कहा था कि उन्होंने अभी तक उसके 30 अक्टूबर, 2017 के आदेश का पालन नहीं किया। इस आदेश के तहत न्यायालय ने यूनिटेक लिमिटेड के इन प्रवर्तकों को 31 दिसंबर, 2017 तक शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था। यह मामला 2015 में दर्ज करायी गयी एक शिकायत से संबंधित था लेकिन बाद में यूनिटेक लिमिटेड की गुरुग्राम में स्थित ‘वाइल्ड फ्लावर कंट्री’ और ‘अंथिया’ परियोजना के 173 अन्य मकान खरीदार शामिल हो गये थे।।

 

 

 

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