नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने ‘फर्जी’ बाबाओं और अवैध ‘आश्रमों’ के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर बुधवार को विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
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प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने याचिकाकार्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी से पूछा कि अदालत कैसे तय करेगी कि कौन व्यक्ति फर्जी बाबा है।
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पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता दुंपाला रामरेड्डी की ओर से पेश गुरुस्वामी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी है और अनुमति दी जाती है। तदनुसार रिट याचिका खारिज की जाती है। इससे पहले संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने फर्जी बाबाओं की सूची तैयार की है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम उस सूची पर कैसे विश्वास कर सकते हैं। हमें नहीं पता कि क्या सूची उन लोगों को सुनने के बाद तैयार की गई?’’ पीठ ने कहा कि मुद्दा उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
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