Saturday, Dec 02, 2023
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supreme court declares extension of service of enforcement directorate director mishra illegal

ED निदेशक मिश्रा के सेवा विस्तार को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दिया

  • Updated on 7/11/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार दिए गए सेवा विस्तार को अवैध करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएटीएफ समीक्षा और कार्यभार के सुचारु हस्तांतरण के लिए ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई 2023 तक रहेगा। 

इससे पूर्व की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाये जाने का बचाव करते हुए उच्चतम न्यायालय से कहा कि ऐसा इस वर्ष वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की समीक्षा के बाद किया गया था। केंद्र ने यह भी कहा कि मिश्रा इस वर्ष नवम्बर में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिये जाने और ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच साल बढ़ाये जाने संबंधी संशोधन को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई पूरी कर ली तथा फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, ‘‘यह अधिकारी किसी राज्य के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे अधिकारी हैं जो संयुक्त राष्ट्र में भी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस अदालत को उनके कार्यकाल के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए तथा (वैसे भी) वह नवम्बर के बाद उस पद पर नहीं होंगे।'' 

मेहता ने कहा था, ‘‘वह धनशोधन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जांच की निगरानी कर रहे हैं और (निदेशक) पद पर उनका बना रहना देशहित में जरूरी था। इन्हें नवम्बर 2023 के बाद सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा।'' सॉलिसिटर जनरल की यह दलील सुनने के बाद पीठ ने पूछा कि क्या स्थिति ऐसी ही है कि किसी एक आदमी के विभाग से हट जाने के बाद पूरा प्रवर्तन निदेशालय निष्प्रभावी हो जाएगा।

मेहता ने हालांकि इसका जवाब ‘न' में दिया, लेकिन यह भी कहा कि नेतृत्व भी मायने रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘ईडी निदेशक की नियुक्ति बहुत ही कठिन प्रक्रिया है और आईएएस, आईपीएस, आईआरएस आदि अधिकारियों के साझा पुल से एक व्यक्ति का चयन किया जाता है तथा वह व्यक्ति अतिरिक्त मुख्य सचिव के रैंक में होता है।''

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि ईडी ऐसी संस्थाओं में से एक है, जो देश के प्रत्येक राज्य में सभी प्रकार के मामलों की जांच कर रही है और इसलिए इसे पुनीत और स्वतंत्र होना चाहिए। गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि विस्तार को अपवाद की स्थिति में ही दिया जा सकता है, न कि नियमित आधार पर। 

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