नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सीबीआई से कहा कि एसएनसी लवलीन भ्रष्टाचार मामले में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और दो अन्य को आरोप मुक्त करने के निर्णय के खिलाफ बहुत ही ठोस आधार के साथ आयें क्योंकि उच्च न्यायालय और निचली अदालत ने कहा है कि इस मामले में उन पर मुकदमा नहीं चलना चाहिए। सीबीआई ने कहा कि यह 2017 में दायर मामले में एक दूसरे के खिलाफ अपील है और वह इस मामले के वास्तविक पहलुओं की जानकारी देते हुये एक विस्तृत नोट दाखिल करेगी।
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न्यायमूॢत उदय यू ललित, न्यायमूॢत विनीत सरन और न्यायमूॢत एस रवीन्द्र भट की पीठ को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सालीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह आरोपियों को आरोप मुक्त करने के खिलाफ जांच एजेन्सी की अपील है। उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने शुरू में कुछ आरोपियों को इस मामले में आरोप मुक्त किया था और केरल उच्च न्यायालय ने उस निर्णय को बरकरार रखा था। पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि दो अदालतों ने कहा है कि इस मामले में चुनिन्दा आरोपियों पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए, आपको इस निष्कर्ष के खिलाफ बहुत ही ठोस आधार के साथ आना होगा।
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मेहता ने कहा कि शुरू में एक जनहित याचिका केरल उच्च न्यायालय में दायर हुयी थी जिस पर इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था। उन्होंने कहा कि जांच एजेन्सी ने 2009 में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया लेकिन कुछ आरोपियों को 2013 में निचली अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया। इस निर्णय की पुष्टि 2017 में उच्च न्यायालय ने की थी। सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार इस मामले में 11 आरोपी थे। निचली अदालत ने इनमे से छह को आरोप मुक्त किया लेकिन उच्च न्यायालय ने सिर्फ तीन आरोपियों को आरोप मुक्त करने का फैसला बरकरार रखा।
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तीन आरोपियों ने आरोप मुक्त करने का अनुरोध करते हुये शीर्ष अदालत में अपील दायर कर रखी है जबकि पांच अन्य आरोपियों पर निचली अदालत में मुकदमा चल रहा है। तिरूअनंतपुरम स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने नवंबर, 2013 में कनाडा की फर्म एसएनसी-लवलीन को 1996 में ठेका देने में कथित भ्रष्टाचार के मामले में विजयन और अन्य को आरोप मुक्त कर दिया था। विजयन उस समय राज्य में ऊर्जा मंत्री थे। आरोप था कि इससे सरकारी राजस्व को 374.50 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ था।
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