नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े अवमानना के एक मामले में नोएडा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ऋतु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर अगले आदेश तक शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी।
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प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सीईओ की याचिका पर नोएडा के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट समेत 12 लोगों को नोटिस भेजे और उनके जवाब मांगे। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाता है। पूर्व के आदेश में एनबीडब्ल्यू पर लगायी रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी। मामले को सुनवाई के लिए जुलाई में सूचीबद्ध करें।’’
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उच्चतम न्यायालय ने आईएएस अधिकारी के उच्च न्यायालय में पेश होने में देरी के आधार पर उच्च न्यायालय द्वारा एनबीडब्ल्यू जारी करने को लेकर नाराजगी जतायी थी। सीजेआई ने कहा, ‘‘यह (उचित) तरीका नहीं है।’’ पीठ ने यह भी कहा कि यह चलन हो गया है जब प्राधिकारी मुआवजे का भुगतान किए बिना जमीन का अधिग्रहण कर लेते हैं।
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न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की एक अन्य पीठ ने 11 मई को राहत प्रदान की थी और मामले की सुनवाई 13 मई तक के लिए स्थगित कर दी थी, क्योंकि न्यायमूर्ति मुरारी सुनवाई से अलग हो गए थे। न्यायमूर्ति नजीर ने कहा था, ‘‘चूंकि मामला अत्यावश्यक है, इसलिए प्रधान न्यायाधीश से उचित निर्देश लेने के बाद शुक्रवार को मामले को फिर से सूचीबद्ध किया जाए। इस बीच, अंतरिम आदेश जारी रहेगा।’’ उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भारतीय प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी ऋतु माहेश्वरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए।
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रोहतगी ने कहा था, ‘‘यह एक गंभीर मामला है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक महिला पेश हुई, उसका वकील मौजूद था और उसने सुनवाई बाद में करने का अनुरोध किया। उच्च न्यायालय ने महिला को हिरासत में पेश करने का निर्देश दिया।’’
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शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा था कि यह एक नियमित मामला बन गया है कि उत्तर प्रदेश के अधिकारी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ उसके पास आ रहे हैं और वे अदालत के आदेशों का सम्मान नहीं करते। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी माहेश्वरी ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित अवमानना के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। अधिकारी के समय पर पेश नहीं होने के कारण उच्च न्यायालय का यह आदेश आया था।
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