नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आपराधिक मामलों में जांच एजेंसी द्वारा दाखिल आरोप पत्र को आमजन की पहुंच के लिए सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। आरोप पत्र को सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने के अनुरोध वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि आरोप पत्र को वेबसाइट पर साझा करना दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के विपरीत होगा।
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पीठ ने कहा कि आरोप पत्र एक ‘सार्वजनिक दस्तावेज' नहीं है और इसे ऑनलाइन प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा, ‘‘आमजन को यह जानने का अधिकार है कि कौन अभियुक्त है और किसने संबंधित अपराध किया है।'' उच्चतम न्यायालय पत्रकार सौरव दास की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
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